मकरसंक्राति का इतिहास और महत्त्व

Jan 14, 2023 - 11:04
 24
मकरसंक्राति का इतिहास और महत्त्व
मकरसंक्राति का इतिहास और महत्त्व

मकर संक्रांति का त्योहार हो या उत्तरायण या भारतीय स्वतंत्रता दिवस, ये पतंगबाजी के पर्याय हैं. भले ही त्योहार हो या किसी अवसर पर पतंग को उड़ाने का कोई ऐतिहासिक साक्ष्य या लिखित वृत्तांत नहीं है परन्तु यह एक सदियों पुरानी परंपरा है. आइये इस लेख के माध्यम से अध्ययन करते हैं पतंग के इतिहास, कैसे यह भारत में प्रसिद्ध हुई और कब-कब भारत में यह उड़ाई जाती है.

जैसा की हम जानते हैं कि भारत में पतंगबाजी का खेल बहुत पुराना और काफी प्रसिद्ध है. भारत के विभिन्न राज्यों में पतंगों को अलग-अलग समय में उड़ाया जाता है और साथ ही त्योहारों को मनाया जाता है. भारत अपने विभिन्न संस्कृति के लिए जाना जाता है. इस दिन लोग पूरे उत्साह से रंग-बिरंगी पतंगों को उड़ाते हैं और आसमान भी इस दिन पतंगों से भर जाता है. साथ ही आपको बता दें कि भारत में प्रत्येक वर्ष अंतर्राष्ट्रीय पतंग महोत्सव भी मनाया जाता है. क्या आप जानते हैं कि पहली बार पतंग आई कहां से, किसने इसे सबसे पहले उड़ाया, इन त्योहारों को कैसे मनाया जाता है इत्यादि. आइये इस लेख के माध्यम से अध्ययन करते हैं.

पतंग का इतिहास लगभग 2000 साल से भी अधिक पुराना है. हालांकि पतंगों की उत्पत्ति या इतिहास के बारे में कोई लिखित वृत्तांत नहीं है. ऐसा कहा जाता है कि पतंग उड़ाने के सबसे पहले लिखे गए लेख चीनी जनरल हान हसिन (Han Hsin), हान राजवंश (Han Dynasty) के कारनामे से थे. परन्तु पतंग के आविष्कार को लेकर अलग-अलग मान्यताएं हैं. ऐसा माना जाता है कि सबसे पहले पतंग का आविष्कार चीन में किया गया था और शानडोंग (Shandong) जो कि पूर्वी चीन का प्रांत था, को पतंग का घर कहा जाता है. एक पौराणिक कथा से पता चलता है कि एक चीनी किसान अपनी टोपी को हवा में उड़ने से बचाने के लिए उसे एक रस्सी से बांध कर रखता था और इसी अवधारणा से पहले पतंग की शुरूआत हुई थी. एक और मान्यता के अनुसार 5 वीं शताब्दी ईसा पूर्व में चीन दार्शनिक मोझी (मो दी) और लू बान (गोंगशु बान) ने पतंग का आविष्कार किया था, तब बांस या फिर रेशम के कपड़े का इस्तेमाल किया जाता था पतंगों को बनाने के लिए.

ऐसा कहा जाता है कि 549 AD से कागज़ की पतंगों को उड़ाया जाने लगा था क्योंकि उस समय कागज़ से बनी पतंग को बचाव अभियान के लिए एक संदेश भेजने के रूप में इस्तेमाल किया गया था. प्राचीन और मध्ययुगीन चीनी स्रोतों में वर्णित है कि पतंगों को मापने, हवा का परीक्षण, सिग्नल भेजने और सैन्य अभियानों के संचार के लिए इस्तेमाल किया जाता था. सबसे पहली चीनी पतंग फ्लैट यानी चपटी और आयातकार हुआ करती थी. फिर बाद में पतंगों को पौराणिक रूपों और पौराणिक आंकड़ों से सजाया जाने लगा था और कुछ में स्ट्रिंग्स और सिटी को भी फिट किया जाता था ताकि उड़ते वक्त संगीत सुनाई दे.

भारत में पतंग उड़ाने की शुरुआत कब और कैसे हुई

ज्यादातर लोगों का मानना है कि चीनी यात्रि Fa Hien और Hiuen Tsang पतंग को भारत में लाए थे. यह टिशू पेपर और बांस के ढाचे से बनी होती थी. लगभग सभी पतंगों का आकार एक जैसा ही होता है. पतंग उड़ाने का खेल भारत में काफी लोकप्रिय है. हमारे देश के विभिन्न भागों में कुछ विशेष त्यौहार एवं वर्ष के कुछ महीने पतंगबाजी या पतंग उड़ाने की प्रतियोगिता से संबंधित हैं.

उत्तरायण या मकर संक्रान्ति पतंग महोत्सव

उत्तरायण या मकर संक्रान्ति को यह त्यौहार जोर शोर से मनाया जाता है. गुजरात में संक्रान्ति से एक महीने पहले लोग अपने घरों में पतंगों को बनाना शुरू कर देते है. भारतीय कैलेंडर के अनुसार, उत्तरायण या मकर संक्रान्ति का त्यौहार उस दिन को चिह्नित करता है जब सर्दी गर्मी में बदल जाती है, अर्थार्त बसंत का आगमन होता है. यह किसानों के लिए एक संकेत है कि सूरज वापस आ गया है और उस फसल का मौसम आ रहा है. गुजरात में और कई अन्य राज्यों में जैसे कि बिहार,पश्चिम बंगाल, राजस्थान और दिल्ली में भी इस त्यौहार को मनाया जाता है. लोग अपने दोस्तों, परिवारों और रिश्तेदारों के साथ, छतों पर इकट्ठा होते हैं और साथ में पतंगबाजी करते हैं. गुजरात में अंतर्राष्ट्रीय पतंग महोत्सव का भी आयोजन होता है और कई देशों के लोग इसमें भाग लेते हैं. डेजर्ट पतंग महोत्सव उत्तरायण के दौरान कई सालों से जयपुर में आयोजित किया जा रहा है.

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow

Sujan Solanki Sujan Solanki - Kalamkartavya.com Editor