लक्ष्मी नारायण मंदिर के बारे संपूर्ण जानकारी - बिड़ला मंदिर दिल्ली

Jan 25, 2023 - 08:24
Jan 24, 2023 - 12:13
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लक्ष्मी नारायण मंदिर के बारे संपूर्ण जानकारी  - बिड़ला मंदिर दिल्ली

लक्ष्मी नारायण मंदिर बिड़ला मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी को समर्पित यह मंदिर दिल्ली के प्रमुख मंदिरों में से एक है। इसका निर्माण १९३८ में हुआ था और इसका उद्घाटन राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने किया था। बिड़ला मंदिर अपने यहाँ मनाई जाने वाली जन्माष्टमी के लिए भी प्रसिद्ध है।इसके अलावा यहां नवरात्रि और दीपावली के समय भी काफी आयोजन किये जाते हैं। दीपावली पर मंदिर की साज सज्जा देखने लायक होती है।

स्थापत्य
इसके वास्तुशिल्प की बात की जाए तो यह मंदिर उड़ियन शैली में निर्मित है। मंदिर का बाहरी हिस्सा सफेद संगमरमर और लाल बलुआपत्थिर से बना है जो मुगल शैली की याद दिलाता है। मंदिर में तीन ओर दो मंजिला बरामदे हैं और पिछले भाग में बगीचे और फव्वारे हैं

इतिहास

लक्ष्मी नारायण को समर्पित मंदिर का निर्माण 1933 में शुरू हुआ, जिसे बिड़ला परिवार के उद्योगपति और परोपकारी, बलदेव दास बिड़ला और उनके बेटे जुगल किशोर बिड़ला ने बनवाया था, इस प्रकार, मंदिर को बिड़ला मंदिर के रूप में भी जाना जाता है। मंदिर की आधारशिला जाट महाराज उदयभानु सिंह ने रखी थी। मंदिर पंडित विश्वनाथ शास्त्री के मार्गदर्शन में बनाया गया था। [3] समापन समारोह और यज्ञ स्वामी केशवानंदजी द्वारा किया गया था। 

यह भारत के कई शहरों में बिड़लाओं द्वारा निर्मित मंदिरों की श्रृंखला में से पहला है, जिसे अक्सर बिड़ला मंदिर भी कहा जाता है।

मंदिर के शिखर
इसके वास्तुकार श्रीस चंद्र चटर्जी थे, जो "आधुनिक भारतीय वास्तुकला आंदोलन" के एक प्रमुख प्रस्तावक थे।  वास्तुकला बीसवीं शताब्दी की शुरुआत के स्वदेशी आंदोलन के सिद्धांतों और इस्तेमाल किए गए विहित ग्रंथों से काफी प्रभावित थी। आंदोलन ने नए निर्माण विचारों और प्रौद्योगिकियों को शामिल करने से इंकार नहीं किया। चटर्जी ने अपनी इमारतों में बड़े पैमाने पर आधुनिक सामग्रियों का इस्तेमाल किया।

तीन मंजिला मंदिर मंदिर वास्तुकला की उत्तरी या नागर शैली में बनाया गया है। पूरे मंदिर को वर्तमान ब्रह्मांड चक्र के स्वर्ण युग के दृश्यों को दर्शाती नक्काशियों से सजाया गया है। आचार्य विश्वनाथ शास्त्री के नेतृत्व में बनारस के सौ से अधिक कुशल कारीगरों ने मंदिर के चिह्नों को उकेरा। गर्भगृह के ऊपर मंदिर का सबसे ऊंचा शिखर लगभग 49 मीटर (160 फीट) ऊंचा है। मंदिर का मुख पूर्व की ओर है और यह एक ऊंचे चबूतरे पर स्थित है। यह मंदिर शास्त्री के जीवन और कार्य को दर्शाने वाले फ्रेस्को चित्रों से सुशोभित है। मंदिर के चिह्न जयपुर से लाए गए संगमरमर के हैं। मंदिर परिसर के निर्माण में मकराना, आगरा, कोटा और जैसलमेर के कोटा पत्थर का उपयोग किया गया था। मंदिर के उत्तर में गीता भवन कृष्ण को समर्पित है। कृत्रिम परिदृश्य और झरने वाले झरने मंदिर की सुंदरता में इजाफा करते हैं। 

मंदिर

मुख्य मंदिर में नारायण और लक्ष्मी की मूर्तियां हैं। शिव, गणेश और हनुमान को समर्पित अन्य छोटे मंदिर हैं। बुद्ध को समर्पित एक मंदिर भी है। बाईं ओर मंदिर शिखर (गुंबद) में देवी दुर्गा, शक्ति की देवी, शक्ति है। मंदिर लगभग 7.5 एकड़ (30,000 वर्ग मीटर) के क्षेत्र में फैला हुआ है और निर्मित क्षेत्र 0.52 एकड़ (2,100 वर्ग मीटर) है।

जगह
मंदिर नई दिल्ली में कनॉट प्लेस के पश्चिम में स्थित मंदिर मार्ग पर स्थित है। मंदिर शहर से स्थानीय बसों, टैक्सियों और ऑटो-रिक्शा द्वारा आसानी से पहुँचा जा सकता है। निकटतम दिल्ली मेट्रो स्टेशन आर के आश्रम मार्ग मेट्रो स्टेशन है, जो लगभग 2 किमी दूर स्थित है। इसी सड़क पर नई दिल्ली कालीबाड़ी भी है। 

लक्ष्मी नारायण मंदिर दिल्ली की वास्तुकला 
दिल्ली में स्थित लक्ष्मी नारायण मंदिर वैसे तो एक धार्मिक स्थल है, लेकिन धार्मिक स्थल के अलावा सुंदर वास्तुकला के लिए भी जाना जाता है। यह तीन मंजिला लक्ष्मी नारायण मंदिर उड्डीयन शैली मे निर्मित है। यहां पर केवल लक्ष्मी नारायण की ही मंदिर नहीं बल्कि अन्य कई देवी-देवताओं के भी मंदिर स्थापित है। लेकिन प्रमुख एवं विशाल मंदिर लक्ष्मी नारायण जी को ही समर्पित हैं।

लक्ष्मी नारायण मंदिर खुलने और बंद होने का समय
दिल्ली में स्थित लक्ष्मी नारायण मंदिर को खोलने एवं बंद करने का समय भी निर्धारित किया गया है। इस मंदिर को पूरे दिन में दो बार बंद एवं दो बार खोला जाता है। लक्ष्मी नारायण मंदिर सुबह 4:30 बजे खुल जाता है एवं दोपहर 1:00 बजे बंद कर दिया जाता है। पुनः फिर से दोपहर 2:30 बजे खोलकर रात 9:00 बजे बंद कर दिया जाता है। इन्हीं समय के बीच यहां पर सभी गतिविधियों को किया जाता है।

लक्ष्मी नारायण मंदिर जाने का अच्छा समय 
दिल्ली के इस लक्ष्मी नारायण मंदिर में जाने का अच्छा समय के बारे में बात करें तो आपको बता दें, इस लक्ष्मी नारायण मंदिर वैसे तो आप पूरे साल में कभी भी जा सकते हैं। लेकिन जैसा कि आपको मालूम है कि दिल्ली में गर्मी के दिनों में काफी ज्यादा तापमान बढ़ जाता है इसलिए आप गर्मी के दिनों में यहां पर दोपहर में जाने का प्लान कभी न बनाएं। क्योंकि गर्मी के कारण आपका बुरा हाल हो सकता है। आप इस लक्ष्मी नारायण मंदिर को सुबह एवं शाम में विजिट करें, यही आपके लिए उचित रहेगा।

अगर आप इस मंदिर को खूबसूरती से सजा हुआ एवं भीड़-भाड़ से भरा हुआ देखना चाहते हैं, तो आप यहां पर जन्माष्टमी एवं दीपावली त्यौहार के दौरान जाएं।

लक्ष्मी नारायण मंदिर का प्रवेश शुल्क 
दिल्ली के इस लक्ष्मी नारायण मंदिर जिसे बिरला मंदिर के नाम से जाना जाता है में जाने के लिए आपको कोई भी प्रवेश शुल्क देने की जरूरत नहीं है। क्योंकि यहां पर आप निशुल्क ही जा सकते हैं। आप किसी भी देश से बिलॉन्ग करते हो आप यहां पर निशुल्क ही जा सकते हैं। यहाँ फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी करने के लिए भी आपको कोई भी चार्ज नहीं देना पड़ेगा।

लक्ष्मी नारायण मंदिर दिल्ली कैसे पहुंचे 
दिल्ली में स्थित लक्ष्मी नारायण मंदिर के पास पहुंचने के लिए दिल्ली के कई सरकारी बसे डायरेक्ट चलती है। अगर हम इस लक्ष्मी नारायण मंदिर के नजदीकी मेट्रो स्टेशन के बारे में बात करें, तो ब्लू लाइन पर स्थित आरके आश्रम मार्ग मेट्रो स्टेशन है।

अगर आप यहां पर दिल्ली के अलावा दूर स्थित कहीं मुख्य शहर से आना चाहते हैं, तो भी आप यहां पर तीनों माध्यमों (वायु, ट्रेन या सड़क) में से अपनी सुविधा के अनुसार किसी का भी चुनाव कर आसानी से आ सकते हैं। क्योंकि दिल्ली में स्थित हवाई अड्डा एवं रेलवे स्टेशन भारत के प्रमुख शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। इसके अलावा दिल्ली अन्य शहरों से कई नेशनल हाईवे के द्वारा भी कनेक्टेड है।

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