पी टी उषा का सम्पूर्ण जीवन परिचय

Jan 26, 2023 - 14:02
Jan 26, 2023 - 11:04
 606
पी टी उषा का सम्पूर्ण जीवन परिचय

आज अगर भारत में किसी से भी तेज दौड़ने वाली महिला के बारे में पूछा जाए तो बच्चे बच्चे के मुंह से सबसे पहले पीटी उषा का नाम आता है। पीटी ऊषा ने लगभग दो दशकों तक भारत को एथलीट के खेल में सम्मान दिलाया है। P.T. Usha को किसी भी परिचय की आवश्यकता नहीं है। पीटी उषा का जन्म 27 जून 1964 में केरल के पय्योली नाम के जगह पर हुआ। उन्होंने ट्रैक पर अपने तेज दौड़ने का जादू कुछ इस तरह बिखेरा कर उन्हें “क्वीन ऑफ इंडियन ट्रैक” नाम दिया गया। पीटी ऊषा का पूरा नाम “पिलावुळ्ळकण्टि तेक्केपरम्पिल् उषा” हैं। अगर आप पी. टी. ऊषा के बारे में जानना चाहते हैं तो आज इस लेख में पीटी ऊषा बायोग्राफी के जरिए इस महान हस्ती के कुछ खास बातों को सरल शब्दों में बताने का प्रयास किया गया है।

पीटी उषा ने लगभग दो दशक तक सबसे तेज दौड़ने वाली महिला के रूप में भारत को बहुत सम्मान दिलाया है। उन्होंने एथलीट के खेल में ओलंपिक में गोल्ड मेडल हासिल किया है। आज पीटी ऊषा केरल में एक एथलीट स्कूल चलाती है और अन्य बच्चों को इस मुकाम तक पहुंचने में मदद करती है। पीटी उषा की एक आधिकारिक वेबसाइट है जहां से आप इनके स्कूल के बारे में अधिक जानकारी ले सकते हैं।

पीटी उषा जीवन परिचय

पीटी उषा का पूरा नाम पिलावुलकंडी थेक्केपारंबिल उषा है। उनका जन्म 27 जून 1964 में केरल के पय्योली नाम की एक गांव में हुआ। उनके पिता का नाम ई पी एम पीतल है, उनके माता का नाम टीवी लक्ष्मी है। पीटी उषा बचपन से बहुत पतली और शारीरिक रूप से बहुत ही कमजोर थी। मगर अपनी प्रारंभिक शिक्षा के दौरान उन्होंने अपने स्वास्थ्य को सुधारा और उसके बाद लोगों को उनके अंदर एक एथलीट नजर आने लगा। 1976 में केरल के कन्नूर में सरकार ने एक सरकारी अथिलीट सेंटर शुरू किया। उस वक्त पीटी ऊषा 12 साल की थी जब उनका चयन कुन्नूर के इस एथलीट सेंटर में अन्य 40 महिलाओं के साथ हुआ था। यहां पर ट्रेनिंग पूरी करने के बाद उन्होंने 1979 में पहली बार नेशनल एथलीट कंपटीशन में जीत हासिल की। यह वह समय था जब पीटी उषा ने पहली बार दौड़ के क्षेत्र में गोल्ड मेडल हासिल करके अपने क्षेत्र का नाम रोशन किया।

इसके बाद पीटी उषा ने अलग-अलग तरह की प्रतियोगिता में हिस्सा लेना शुरू किया और हर जगह हर देश के लिए गोल्ड मेडल जीतावाया। पीटी उषा को उनके एथलीट प्रदर्शन की वजह से अलग-अलग तरह के नाम से सम्मानित किया गया।

पी टी उषा क्वीन ऑफ़ इंडियन ट्रैक

पीटी उषा को क्वीन ऑफ इंडियन ट्रैक या गोल्डन गर्ल के नाम से जाना चाहता है। इसके अलावा उन्हें खेल के क्षेत्र में अलग-अलग तरह के पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है। पीटी उषा ने उस दौर में भारत को ओलंपिक और अन्य खेल में गोल्ड मेडल जितवाया जब भारत देश में महिलाओं को अधिक छूट नहीं दी जाती थी। पीटी उषा ने सबसे पहले 1979 में सबसे पहले नेशनल लेवल पर गोल्ड मेडल जीतकर खुद को अंतर्राष्ट्रीय खेलों के काबिल बताया। इसके बाद 1980 में “पाकिस्तान ओपन नेशनल मीट” में एथलीट के तौर पर हिस्सा लेकर उन्होंने अपने अंतरराष्ट्रीय करियर की शुरुआत की। कराची में उन्होंने भारत को लगातार 4 गोल्ड मेडल जीतवाया। पाकिस्तान में भारत को पीटी उषा ने चार स्वर्ण पदक एथलीट में दिलवाया जिसके बाद वह भारत में एक प्रचलित एथलीट बन गई।

पीटी उषा की उपलब्धियाँ

1982 में पीटी ऊषा वर्ल्ड इनविटेशन मीट में 100 मीटर और 200 मीटर की रेस में हिस्सा लिया जिसमें 200 मीटर में उन्होंने स्वर्ण पदक और 100 मीटर वाले में ब्रोंज मेडल जितवा कर देश का नाम वहां भी रोशन किया। इसके बाद एशिया ट्रैक एंड फील्ड नाम के रेस में 400 मीटर की रेस में हिस्सा लिया और वहां 400 मीटर की रेस में एक नया रिकॉर्ड कायम किया साथ ही गोल्ड मेडल जीता। इसके बाद 1984 में पीटी उषा ने लॉस एंजेलिस ओलंपिक में 400 मीटर की रेस में हिस्सा लिया और बहुत थोड़े से मार्जिन के लिए हार गई और उन्हें ब्रॉन्ज मेडल भी नहीं मिल पाया।

इसके बाद 1985 में इंडोनेशिया के एशिया ट्रैक वर्ल्ड चैंपियन में उन्होंने हिस्सा लिया और 5 गोल्ड मेडल लगातार जीता। इसके बाद उन्होंने सियोल ओलंपिक में हिस्सा लिया मगर अचानक उनके पैर में चोट लग जाने की वजह से ओलंपिक खेल में सही तरीके से अपना प्रदर्शन नहीं दे पाई। इसके बाद 1990 में बीजिंग एशियन गेम्स में उन्होंने हिस्सा लिया उस में गोल्ड मेडल जीतने के बाद उन्होंने अखिलेश के खेल से संन्यास ले लिया। इसके बाद 1991 में उन्होंने श्रीनिवासन से शादी कर ली। जिसके कुछ सालों बाद सबको चौक आते हुए 1998 में 34 साल की उम्र में उन्होंने दोबारा से कमबैक किया। कुछ खेलों में भाग लेने के बाद 2000 में उन्होंने फाइनली एथलीट से पूरी तरह सन्यास ले लिया।

पीटी उषा के रिकॉर्ड

पीटी उषा के अंदर एथलीट की कला कूट-कूट कर भरी थी। इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है की उन्होंने बहुत कम उम्र में बहुत सारे एथलीट रिकॉर्ड को कायम किया।

मात्र 13 साल की उम्र में 1977 में पीटी उषा ने केरल राज्य में राष्ट्रीय एथलीट प्रतियोगिता में एक राष्ट्रीय रिकॉर्ड कायम किया।

इसके बाद 1980 में 16 साल की उम्र में उन्होंने मॉस्को ओलंपिक में एथलीट प्रतियोगिता में हिस्सा लिया। इसके बाद वह सबसे कम उम्र वाली महिला बनी जिन्होंने ओलंपिक में हिस्सा लिया। 

भारत की वह पहली महिला एथलीट बनी जिन्होंने एथलीट प्रतियोगिता में हिस्सा लिया और फाइनल में अपना स्थान बनाया।

लॉस एंजिलिस ओलंपिक में यह पहली बार महिलाओं के लिए बाधा दौड़ को लाया गया। जिसमें 400 मीटर बाधा दौड़ में हिस्सा लेकर इस रेस को 55.42 सेकंड में खत्म करके इसे इंडिया का नेशनल रिकॉर्ड बनाया जो आज भी कायम है। 

34 साल की उम्र में 1998 में उन्होंने बीजिंग में हुए एशियन गेम्स में हिस्सा लिया और अधिक उम्र में रेस जीतने वाली भारत की महिला बनी।

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow

Sujan Solanki Sujan Solanki - Kalamkartavya.com Editor