दुर्बा बनर्जी विश्व की पहली कमर्शियल महिला पायलट
पहली महिला पायलट और भारत की पहली व्यापारिक (कामरशियल) पायलट
दुर्बा बेनर्जी इंडियन एयरलाइंस की पहली महिला (1956 में) पायलट और भारत की पहली व्यापारिक (कामरशियल) पायलट रही हैं।
प्रारंभिक जीवन
एक बालिका के रूप में बेनर्जी जहाज़ों और उड़ने में रुचि रखती थी और भविष्य में स्वयं जहाज़ चलाना चाहती थी। वह अपने समय की पहली महिला थी जिसने आम परम्परा के विपरीत इस क्षेत्र में प्रवेश किया।
कार्य
बेनर्जी ने अपनी पहली उड़ान कलिंगा एयललाइंस के एयर सर्वे पायलट के रूप में 1959 में प्रारंभ की।
वह कोलकाता में इंडियन एयललाइन्स के कार्यालय में 1966 में शामिल हो गई और 1988 में सेव निवृत्त हुई। ऐसा माना जाता है कि जब वह पहली बार केन्द्रीय हवाबाज़ी मंत्री हुमायूँ कबीर से मिलकर व्यापारिक पायलट की अनुमति माँगी, तो वह झिझक गए और उसे उड़ान सहायक (flight attendant) का पद देना चाहा।
बेनर्जी को सर्वाधिक 185000 घण्टे उड़ान का श्रेय प्राप्त है।
बेनर्जी एफ़ 27 टर्बो प्रॉप एयरक्राफ़्ट में कमान्डर की पद पर नियुक्त हुई थी।
बी 737 200 श्रंखला के आगमन के पश्चात वह स्वयं जेट पायलेट के रूप में मान्यता प्राप्त की थी जिससे वह बोइंग 737 चलाने लगी।
वह एयरबस 300 भी चला चुकी है।
दुर्गा बनर्जी का करियर
उन्होंने एक अपराधिक वकील के रूप में शुरू किया था। बनर्जी ने अपनी पहली उड़ान कलिंगा एयललाइंस के एयर सर्वे पायलट के रूप में 1959 में प्रारंभ की। वह कोलकाता में इंडियन एयललाइन्स के कार्यालय में 1966 में शामिल हो गई और 1988 में सेवानिवृत्त हुई। बनर्जी एफ़ 27 टर्बो प्रॉप एयरक्राफ़्ट में कमान्डर की पद पर नियुक्त हुई थी। वह एयरबस 300 भी चला चुकी है। ऐसा माना जाता है कि जब वह पहली बार केन्द्रीय हवाबाज़ी मंत्री हुमायूँ कबीर से मिलकर व्यापारिक पायलट की अनुमति माँगी, तो वह झिझक गए और उसे उड़ान सहायक (flight attendant) का पद देना चाहा था। बनर्जी पहली भारतीय महिला कमर्शियल पायलट थीं। उन्होंने 9000 घंटे के साथ सबसे अधिक उड़ान घंटे का श्रेय दिया गया
दुर्गा बनर्जी की शिक्षा
वह मिदनापुर कॉलेज और स्कॉटिश चर्च कॉलेज में पढ़ीं थीं। बाद में उन्होंने कलकत्ता विश्वविद्यालय में आपराधिक कानून का अध्ययन किया। उन्होंने अप्रैल 1913 में त्रिगुणा देबी से शादी की।
दुर्गा बनर्जी का निधन
इनकी मृत्यु 1952 में हुई थी।
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