जर्मनी का इतिहास और महत्वपूर्ण जानकारी

Jan 18, 2023 - 13:01
Jan 17, 2023 - 10:54
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जर्मनी का इतिहास और महत्वपूर्ण जानकारी
जर्मनी का इतिहास और महत्वपूर्ण जानकारी

जर्मनी के बारे में 

जर्मनी, अधिकारिक रूप से जर्मन संघीय गणराज्य पश्चिमी यूरोप के केंद्र में स्थित संघीय संसदीय गणराज्य है। जिसमे 16 घटक राज्य का समावेश है, जो 3,57,022 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है और यहाँ की जलवायु भी ज्यादातर शीतोष्ण ही रहती है। 82 मिलियन निवासियों के साथ जर्मनी यूरोपियन संघ के सदस्यों में सर्वाधिक जनसँख्या वाला देश है। यूनाइटेड स्टेट के बाद, दुनिया में यह दूसरा सबसे प्रसिद्ध आव्रजन गंतव्य है। जर्मनी की राजधानी बर्लिन है, जो देश का सबसे बड़ा शहर भी है। देश के दुसरे मुख्य शहरो में हैम्बर्ग, म्युनिक, कोलोन, फ्रँकफर्ट और स्तुत्त्गर्ट शामिल है। जर्मनी की बहुत सी जनजातियाँ शास्त्रीय पुरातनता के समय से आधुनिक जर्मनी के उत्तरी भाग में रह रहे है।

1933 में जर्मनी यूरोपियन संघ का संस्थापक सदस्य बना। यह शेंगेन क्षेत्र का एक भाग है और 1999 में यह यूरोझोन का सह-संस्थापक बना। जर्मनी यूनाइटेड नेशन, नाटो, जी8, जी20 और OECD का भी सदस्य है। देश का राष्ट्रिय सैन्य खर्च दुनिया भर में किये जाने वाले सैन्य खर्च की तुलना में 9 वा सबसे बड़ा है। जर्मनी अपने समृद्ध सांस्कृतिक इतिहास के लिए प्रसिद्ध है। साथ ही जर्मनी बहुत से प्रभावशाली आर्टिस्ट, दर्शनशास्त्री, संगीतकार, खिलाडी, औद्योगिक लोगो, वैज्ञानिको, इंजिनियर और अविष्कारको का घर है।

जर्मनी का इतिहास

प्राचीन काल में जर्मनी में कुछ जनजातीय विशेष समुदाय का निवास था जो के आजके मुकाबले पूर्णतः अलग सामान्य जीवन जिते थे, इन समुदाय का देश के विभिन्न स्थानों में भ्रमण रहता था जो के संसाधनों के एकत्रित करने की प्रक्रिया का हिस्सा था। कुछ कालांतरन के बाद जैसेही ऑगस्टस ने प्राचीन रोम का शासन संभाला तब उसके शासन अंतर्गत यूरोप के विभिन्न देशो में आक्रमण शुरू हुए जिसमे जर्मनी भी शामिल था।इस आक्रमण का ये प्रभाव हुआ के स्थानिक जर्मन लोग राइन नदी,बाडेन – वुर्टेम्बर्ग, बवारिया इत्यादि विभागों में बस गए।

पर एशिया और मध्य एशिया के तरफ से हुन जनजातीय टोलियों के आक्रमण ने यूरोप में रोम इत्यादि क्षेत्र में अनोखी दहशत निर्माण कर दी, हुन के आक्रमण इतने घातक होते थे जिसमे पुरे नगर को तबाह करके ये लोग चले जाते थे। कुछ हद तक रोम साम्राज्य के पतन में इन टोलियों का योगदान रहा और जिसका परिणाम ये हुआ के जर्मनी के हालात सुधर गए और वहाँ के स्थानिक लोग दक्षिण -पश्चिमी जर्मनी में विस्थपित हो गए।

पर जैसे जैसे ईसाई धर्म का प्रभाव यूरोप में बढ़ गया उसका सकारात्मक परिणाम ये हुआ के लगभग पुरे यूरोप में धार्मिक एकत्रीकरण हो गया कुछ हद तक लोग धर्म से जुड़े गतिविधियों में अधिक लिप्त हुए। उन्नीसवीं सदी में बिस्मार्क राजव्यवस्था के अंतर्गत विलियम प्रथम को जर्मनी का साल १८६२ में राष्ट्रपति घोषित किया गया था जिसके अनुसार प्रशासन, व्यापार, तथा शिक्षा आदि से जुड़े सुधारो पर कार्य प्रारंभ हुआ।

कुछ हद तक ब्रिटेन और अमेरिका में हुए औद्योगिक क्रांति से जर्मनी के साथ अन्य यूरोपीय देश भी प्रभावित हुए। जिसका नतीजा ये हुआ के यातायात से संबंधित कार्य, तकनिकी विकास, जीवन शैली में सुधार, चिकित्सा और विज्ञान में तेजी से बदलाव पर कार्य करना प्रारंभ हुआ। पर आगे वर्चस्व की दौड़ में आपसी विवाद की स्थिति का जन्म हुआ, जिसका परिणाम ये हुआ के यूरोप गुटों में बटने लगा जिसमे हंगेरी, ऑस्ट्रिया और जर्मनी का एक गुट बना जिनका तुर्कस्थान के ऑटोमन राजघराने को समर्थन था। वही फ़्रांस, ब्रिटेन और रशिया का गुट बना जिसका प्रमुख कारण सोवियत रशिया का बाल्कन प्रांत था जो विवादित क्षेत्र था। और इसी के वजह से इस प्रदेश में तुर्कस्थान और यूरोपीय देश ब्रिटेन,फ़्रांस और रशिया से विवाद शुरू था।

बाल्कन में आंतरिक स्थिति पहले ही बिगड़ी हुयी थी उसी दौरान बीसवीं सदी के दूसरे दशक में ऑस्ट्रिया के राजपुत्र फ़्रांझ फर्डिनांड की हत्या हुयी जिसका सारा दोष ब्रिटेन,रशिया और फ़्रांस पे आया और इसका नतीजा विश्व के पहले महायुद्ध में सामने आया। जर्मनी और अन्य यूरोपीय देशो की अत्यधिक जानमाल का नुकसान इस विश्वयुद्ध में हुआ था, जिससे दुनिया के राजनीती और व्यापार पर इसका लम्बे समय तक प्रभाव रहा। जर्मनी में प्रथम महायुद्ध में जहा कैसर विलियम द्वितीय की भूमिका महत्वपूर्ण थी, उसके साथ दुनिया के पटल पर हिटलर नाम का तानाशाह इसी देश में उदित हुआ।

हिटलर के नाझी व्यवस्था को दुनिया के प्रमुख देश उतना पसंद नहीं करते थे परंतु नाझी तंत्र में  बहुत ज्यादा राष्ट्रनिष्ठा, त्याग, समर्पण और महत्वाकांक्षा थी। पर उसके पडोसी देश तथा अमेरिका,रशिया जैसे महाशक्तियों से विचार कभी भी जुड़ नहीं पाए। विसवी सदी के चौथी सदी में हिटलर का नाझी तंत्र चरणसीमा पर था जिसमे उसने बर्बरता से कई हजार ज्यू लोगो को जहरीली गैस से बंद कमरों में मार दिया, विश्वपटल पर इस घटना की कड़ी आलोचना हुई और एक तरह से दुनिया के खिलाफ अकेला नाझी तानाशाह हिटलर ऐसी स्थिति उत्पन्न हुई।

जापान के द्वारा रशिया की हुई हार से दूसरे विश्वयुद्ध की चिंगारी उठ गयी इसमें अब गुटवाद यूरोप तक सिमित न रहते हुए दुनिया में कायम हुआ और विश्व और जर्मनी ने दुनिया का दूसरा विश्वयुध्द सहा जिसमे हुए हानि की सिमा नहीं थी।

जर्मनी की संस्कृति और परंपरा

जर्मनी देश के अधिकतर लोग ईसाई धर्म के होने के कारण यहाँ की परंपराये इसी धर्म के मान्यताओं का पालन और जीवन व्यापन से जुड़े गतिविधियों पर भरोसा रखनेवाली होती है। प्राचीन रोम शहर का एक प्रमुख हिस्सा जर्मनी को माना जाता है, जिसके तहत ईसाई धर्म से जुड़े पवित्र धार्मिक क्रियाकलाप आम तौर पर यहाँ देखने को मिलेंगे।

देश के लोगो की विचारधारा और जीवनशैली काफी खुले तौर की होती है जिसमे लगभग सम्पूर्ण यूरोप और जर्मनी में आपको एक सी संस्कृति दिखाई पड़ेगी। अँग्रेजी नववर्ष, क्रिसमस, गुड फ्राइडे आदि त्यौहार यहाँ बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है, इसके साथ देश में मौजूद अन्य धर्मीय लोगो को भी धार्मिक और सामाजिक स्वतंत्रता दी गई है जिसके अनुसार धार्मिक मान्यताओं का पालन वे लोग भी कर सकते है।

यहाँ के प्रार्थनास्थलों में अधिकतर चर्च मौजूद है, जिसमे प्रोटेस्टंट चर्च, एवांजेलिक चर्च इत्यादि प्रमुखता से शामिल है।कुल मिलाकर कहे तो पूरी तरह पश्चिमी संस्कृति,विचारधारा,परंपराये और जीवनशैली के बुनियाद पर जर्मनी देश सफलता के मुकाम हासिल कर विश्व में अपना स्थान कायम किये हुआ है।

जर्मनी के इतिहास के कुछ महत्वपूर्ण दिन

1871 – ओटोमन बिस्मार्क ने जर्मनी के एकीकरण को हासिल कर लिया।
1914-1918 – प्रथम विश्व युद्ध। जर्मनी ने कैसर विल्हेम द्वितीय को पराजित किया, और जर्मनी गणराज्य की तरफ आगे बढ़ने लगा।
1933 – राष्ट्रिय राष्ट्रवादी जर्मन पार्टी का हेड, अडोल्फ़ हिटलर कुलाधिपति बना।
1939-45 – द्वितीय विश्व युद्ध में जर्मनी और देश के मुख्य संघो का बचाव किया गया।
1955 – पश्चिमी जर्मनी नाटो में शामिल हो गया और पूर्वी जर्मनी वारसा संधि में शामिल हो गया।
1957 – पश्चिमी जर्मनी यूरोपियन इकॉनोमिक कम्युनिटी का संस्थापक सदस्य बना।
1961 – बर्लिन वॉल निर्माण किया गया।
1989 – पूर्वी जर्मन के लोग बड़े पैमाने पर पलायन करने लगे। बर्लिन वॉल के भी टुकड़े कर दिए गये।
1990 – हेम्लुट कोहल ने पुनः एकत्रित जर्मनी की कमान संभाली।
2005 – एंजेला मर्केल कुलाधिपति बनी।

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