महंगाई पर काबू पाना श्री मोदी के लिए चुनावी जुमला था
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस प्रधान मंत्री को उनके सबसे बड़े चुनावी वादे - 'महंगाई को नियंत्रित करने' और 'रुपये के गिरते मूल्य को रोकने' की याद दिलाना चाहेगी।
भारतीय शेयर बाज़ारों की असाधारण गिरावट (सेंसेक्स आज 1642 अंक से अधिक गिर गया) और अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये का और अधिक अवमूल्यन चिंता का कारण है।
हम अधिक मजबूत और लचीली भारतीय अर्थव्यवस्था बनाने और खाद्य मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने में विफल रहने में मोदी सरकार की अक्षमता से व्याकुल हैं।
पिछले एक महीने से डॉलर के मुकाबले रुपया दो साल के निचले स्तर पर कारोबार कर रहा है। आज, यह अमेरिकी डॉलर के मुकाबले अभूतपूर्व रूप से गिरकर 66.5 पर आ गया।
जब श्री मोदी सत्ता में आये तो एक डॉलर के मुकाबले रुपया 58.5 था। अब तो प्रधानमंत्री श्री मोदी की उम्र भी पार कर चुका रुपया भाजपा के मार्गदर्शक मंडल की उम्र का पीछा करता नजर आ रहा है।
श्री मोदी की सरकार अपने सबसे महत्वपूर्ण चुनाव पूर्व वादे को निभाने में बुरी तरह विफल रही है। भारत के महानगरों में प्याज की खुदरा कीमत में 75% (औसत) और दालों की खुदरा कीमत में 70% की वृद्धि हुई है।
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