जोधपुर राजस्थान के मेहरानगढ़ किला का इतिहास तथा महत्वपूर्ण जानकारी

Jan 27, 2023 - 16:01
Jan 26, 2023 - 14:37
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जोधपुर राजस्थान के मेहरानगढ़ किला का इतिहास तथा महत्वपूर्ण जानकारी
जोधपुर राजस्थान के मेहरानगढ़ किला का इतिहास तथा महत्वपूर्ण जानकारी

मेहरानगढ़ किला का संक्षिप्त विवरण

मेहरानगढ़ किला भारतीय राज्य राजस्थान के जोधपुर शहर में स्थित है, जो राजस्थान के विशाल किलों में से एक है। पन्द्रहवी शताब्दी में बना यह शानदार किला 125 मीटर ऊँची पथरीली चट्टान पहाड़ी पर स्थित है।

इस किले के भीतर प्राचीन भारतीय राजवंशों के राजाओं के साजोसामान को सजोकर रखा गया है। इसके अलावा यहाँ पर बहुत सी आकर्षक पालकियाँ, हाथियों के हौदे, तरह-तरह की शैलियों में बने लघु चित्र, संगीत वाद्य यन्त्र, प्राचीन वस्त्रों व फर्नीचर का आश्चर्यजनक संग्रह भी अभी तक मौजूद है। यह किला राजस्थान के सबसे प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है और यहाँ हर साल लाखों की संख्या में पर्यटक घूमने के लिए आते है।

मेहरानगढ़ किला का इतिहास

इस शानदार किले का निर्माण कार्य राव जोधा द्वारा 12 मई 1459 को एक पहाड़ी पर शुरू किया गया जिसे महाराज जसवंत सिंह द्वारा पूरा करवाया गया था। पहाड़ी पर काफ़ी पक्षी रहते थे, जिस कारण इस पहाड़ी को भोर चिडिया के नाम से भी जाना जाता था। जोधपुर के राजा रणमल की 24 संतानों मे से एक राव जोधा भी थे। वे जोधपुर के 15वें शासक थे।

मेहरानगढ़ किला के रोचक तथ्य

यह किला भारतीय राज्य राजस्थान के जोधपुर शहर से मात्र 5 कि.मी. की दूरी पर स्थित है।
यह किला मूल रूप से सात द्वार (पोल) व अनगिनत बुर्जों से मिलकर बना हैं।
किले को बनाने में आकर्षक बलुआ पत्थर का इस्तेमाल किया गया था, जिसपर जोधपुर के कारीगरों ने अपनी शानदार शिल्पकारी का प्रदर्शन किया हैं।


इस किले की चौडाई 68 फीट और ऊंचाई 117 फीट है।
इस किले के एक योद्धा कीरत सिंह सोडा के सम्मान में यहाँ एक छतरी भी बनाई गई है। छतरी एक गुंबद के आकार का मंडप है जो राजपूतों की समृद्ध संस्कृति में गर्व और सम्मान व्यक्त करने के लिए बनाया जाता है।
किले के अन्दर एक जय पोल गेट भी है, जिसे महाराजा मान सिंह ने साल 1806 में बीकानेर और जयपुर की सेनाओं पर अपनी जीत की ख़ुशी में बनवाया था।


किले के अन्दर एक फ़तेह पोल भी है, जिसका निर्माण साल 1707 में मुगलों पर मिली जीत की ख़ुशी में किया गया।
राव जोधा ने 1460 ई. मे इस किले के नजदीक एक चामुंडा माता के मंदिर का भी निर्माण करवाया और वहा मूर्ति की स्थापना की। चामुंडा माता को जोधपुर के शासकों की कुलदेवी माना जाता है।
किले के अन्दर के एक हिस्से को संग्रहालय में बदल दिया गया, जहाँ पर शाही पालकियों का एक बड़ा समावेश देखने को मिलता है।


इस संग्रहालय में 14 कमरे हैं, जो शाही हथियारों, गहनों और वेशभूषाओं से सजे हैं।
यहाँ आने वाले पर्यटक किले के भीतर बने मोती महल, फूल महल, शीशा महल और झाँकी महल जैसे चार कमरे को भी देख सकते हैं।
मोती महल को पर्ल पैलेस भी कहा जाता है जोकि किले का सबसे बड़ा कमरा है। यह महल राजा सूर सिंह द्वारा बनवाया गया था, जहां वे अपनी प्रजा से मिलते थे।


फूल महल मेहरानगढ़ किले के विशालतम अवधि कमरों में से एक है। यह महल राजा का निजी कक्ष था। इसे फूलों के पैलेस के रूप में भी जाना जाता है, इसमें एक छत है जिसमें सोने की महीन कारीगरी है।
शीशा महल सुंदर शीशे के काम से सजा है। सैलानी शीशा महल में बनी अद्भुत धार्मिक आकृतियों को देख सकते हैं। शीशा महल को 'शीशे के हॉल' के रूप में भी जाना जाता है।
झाँकी महल, जहाँ से शाही औरते यहाँ हो रहे सरकारी कामों की कार्यवाही को देखती थीं। वर्तमान में, यह महल शाही पालनों का एक विशाल संग्रह है।

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