छत्तीसगढ़ में मक्के की खेती बनी बेहतर आमदनी का जरिया
छत्तीसगढ़ में मक्के की खेती बनी बेहतर आमदनी का जरिया
छत्तीसगढ़ शासन द्वारा संचालित लोक-कल्याणकारी योजनाएं किसानों के लिए वरदान साबित हो रही है। प्रदेश के लघु एवं सीमांत कृषक भी खेती-बाड़ी से बेहतर आय अर्जित कर रहे हैं। राज्य शासन की पहल और अपने मेहनत से किसान सफलता की नई-नई कहानी गढ़ रहे हैं। यहां के किसानों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने और उनके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए शासन-प्रशासन सतत् प्रयासरत है। किसानों को उनकी परंपरागत कृषि छोड़ नई-नई फसल लेने हेतु कृषि विभाग द्वारा पहल कर उन्हें नगदी फसल, व्यापारिक फसल के उत्पादन हेतु प्रोत्साहित कर उन्हें आधुनिक कृषि से जोड़ा जा रहा है।
इसी कड़ी में गरियाबंद विकासखण्ड अंतर्गत वनांचल में बसे ग्राम जैतपुरी के सालिक राम ध्रुव ने कृषि विभाग के सहयोग और परामर्श से छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा मिले वन अधिकार पट्टा का सर्वोत्तम उपयोग करते हुए उसमें मक्के की खेती कर रहे है। हालांकि इससे पूर्व में वे धान की फसल बोते थे। इस बार उन्होंने ढाई एकड़ के खेत में कृषि विभाग द्वारा मिले नि:शुल्क मक्के का प्रमाणित बीज (केएमएच-3426) बोया था। इससे उसे लगभग 18 क्विंटल मक्के का उत्पादन हुआ है।
जिसमें से उन्होंने 8 क्विंटल से ज्यादा खुले बाज़ार में बेचकर अच्छा लाभ प्राप्त किया। सालिक राम बताते है कि मक्के की अच्छी क्वालिटी को देखकर न सिर्फ आसपास के व्यापारी बल्कि दूसरे जिले के व्यापारी भी आकर उनसे मक्का खरीद रहे है। इससे उन्हें अच्छा मुनाफा हुआ।
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