इटली दक्षिणी यूरोप का एक देश

Jan 22, 2023 - 13:24
Jan 22, 2023 - 10:02
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इटली दक्षिणी यूरोप का एक देश
इटली दक्षिणी यूरोप का एक देश

इटली दक्षिणी यूरोप का एक देश है। यह भूमध्य सागर के मध्य में स्थित है, और इसका क्षेत्र काफ़ी हद तक इसी नाम के भौगोलिक क्षेत्र के साथ मेल खाता है। इताली को पश्चिमी यूरोप का भाग भी माना जाता है , और फ़्रान्स, स्वित्सरलैंड, औस्ट्रिया, स्लोवेनिया और वैटिकन सिटी और सान मारिनो के अन्तर्क्षेत्रीय लघुराज्यों के साथ भूमि सीमाएँ साझा करता है। इसका स्वित्सरलैंड, कैंपियोन में एक बहिःक्षेत्र है। इताली 60 मिलियन से अधिक की जनसंख्या के साथ 301,230 वर्ग किमी के क्षेत्र में विस्तृत है। यह यूरोपीय संघ का तृतीय सर्वाधिक जनसंख्या वाला सदस्य राज्य है, यूरोप का षष्ठ सर्वाधिक जनसंख्या वाला देश है, और भूमि क्षेत्र के हिसाब से महाद्वीप का दशम सबसे बड़ा देश है। इताली की राजधानी और सबसे बड़ा नगर रोम है।

इताली कई सभ्यताओं का मूल स्थान था, जैसे कि इत्रस्की सभ्यता, जबकि दक्षिणी यूरोप और भूमध्य द्रोणी में इसकी केन्द्रीय भौगोलिक स्थिति के कारण, देश ऐतिहासिक रूप से असंख्य लोगों और संस्कृतियों का घर भी रहा है, जो पूरे इतिहास के दौरान प्रायद्वीप में बस गए थे। मध्य इताली के मूल निवासी लातीनों ने 8वीं शताब्दी ई॰पू॰ में रोमन साम्राज्य का गठन किया, जो अन्ततः सीनेट और लोगों की सरकार के साथ एक गणराज्य बन गया। रोमन गणराज्य ने शुरू में इतालीय प्रायद्वीप पर अपने पड़ोसियों को जीत लिया और आत्मसात कर लिया, अन्ततः यूरोप, उत्तरी अफ़्रीका और एशिया के कुछ भागों का विस्तार और विजय प्राप्त की। पहली शताब्दी ई॰पू॰ तक, रोमन साम्राज्य भूमध्य द्रोणी में प्रमुख शक्ति के रूप में उभरा और पाक्स रोमाना का उद्घाटन करते हुए एक प्रमुख सांस्कृतिक, राजनीतिक और धार्मिक केंद्र बन गया, जो 200 से अधिक वर्षों की अवधि के दौरान इटली के कानून, प्रौद्योगिकी, अर्थव्यवस्था, कला और साहित्य का विकास हुआ।

प्रारंभिक मध्य युग के दौरान, इताली ने पश्चिमी रोमन साम्राज्य के पतन और बर्बर आक्रमणों को सहन किया, लेकिन 11वीं शताब्दी तक, कई नगर-राज्य और सामुद्रिक गणराज्य, अधिकांशतः उत्तर में, व्यापार, और वाणिज्य के माध्यम से समृद्ध हो गए, जिन्होंने आधुनिक पूंजीवाद की नींव रखी।[10][11] पुनर्जागरण इताली में शुरू हुआ और शेष यूरोप में फैल गया, जिससे मानवतावाद, विज्ञान, अन्वेषण और कला में नूतन रुचि जन्म हुई। मध्य युग के दौरान, इतालीय खोजकर्ताओं ने खोज के यूरोपीय युग में प्रवेश करने में सहायता करते हुए सुदूर पूर्व और नया विश्व के लिए नए मार्गों की खोज की। भूमध्यसागर से गुजरने वाले व्यापार मार्गों के खुलने से इताली की वाणिज्यिक और राजनैतिक शक्ति में काफ़ी अभाव आया।[12] 15वीं और 16वीं शताब्दी के इतालीय युद्धों के दौरान इतालीय नगर-राज्यों और अन्य यूरोपीय शक्तियों के आक्रमणों के बीच सदियों की प्रतिद्वन्द्विता और अन्तर्द्वन्द्व ने इताली के कुछ भागों को राजनीतिक रूप से खण्डित कर दिया।

19वीं शताब्दी के मध्य तक, अन्य सामाजिक, आर्थिक और सैन्य घटनाओं के साथ-साथ बढ़ते इतालीय राष्ट्रवाद ने क्रांतिकारी राजनीतिक उथल-पुथल की अवधि का नेतृत्व किया। शताब्दियों के राजनीतिक और प्रादेशिक विभाजनों के बाद, 1861 में स्वतंत्रता के युद्ध के बाद इताली लगभग पूरी तरह से एकीकृत हो गया, जिससे इताली साम्राज्य की स्थापना हुई। 19वीं शताब्दी के अन्त से लेकर 20वीं शताब्दी की आरम्भ तक, इताली ने तेजी से औद्योगीकरण किया, मुख्य रूप से उत्तर में, और एक औपनिवेशिक साम्राज्य का अधिग्रहण किया, जबकि दक्षिण बड़े पैमाने पर गरीब बना रहा और औद्योगीकरण से बाहर रखा गया, जिससे एक बड़े और प्रभावशाली विकीर्णन को बढ़ावा मिला। प्रथम विश्व युद्ध में विजयी सहयोगी शक्तियों में से एक होने के बावजूद, इताली ने आर्थिक संकट और सामाजिक उथल-पुथल के दौर में प्रवेश किया, जिससे 1922 में इतालवी फासीवादी तानाशाही का उदय हुआ। धुरी पक्ष पर द्वितीय विश्वयुद्ध में फासीवादी इटली की भागीदारी समाप्त हो गई सैन्य हार में। इतालीय प्रतिरोध और उसके बाद के इतालीय गृहयुद्ध और इताली की मुक्ति के उदय के बाद, देश ने अपनी राजशाही को समाप्त कर दिया, एक लोकतांत्रिक एकात्मक संसदीय गणराज्य की स्थापना की, लम्बे समय तक आर्थिक उछाल का आनन्द लिया और एक अत्यधिक विकसित देश बन गया।

इताली की एक उन्नत अर्थव्यवस्था है, जो विश्व में दशम सबसे बड़ी प्रति व्यक्ति सकल घरेलु उत्पाद (यूरोपीय संघ में तृतीय) है, राष्ट्रीय संपत्ति के हिसाब से नवम सबसे बड़ा और केन्द्रीय बैंक के स्वर्ण भण्डार के हिसाब से तृतीय सबसे बड़ा है। यह जीवन प्रत्याशा, जीवन की गुणवत्ता, स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा में उच्च स्थान पर है। देश एक महान शक्ति है, और क्षेत्रीय और वैश्विक आर्थिक, सैन्य, सांस्कृतिक और राजनयिक मामलों में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका है। इताली यूरोपीय संघ का एक संस्थापक और अग्रणी सदस्य है और संयुक्त राष्ट्र, उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन, आर्थिक सहयोग और विकास संगठन, जी7, लातिन संघ, शैङन क्षेत्र और कई अन्य सहित कई अन्तर्राष्ट्रीय संस्थानों का सदस्य है। कई आविष्कारों और खोजों का स्रोत, देश को एक सांस्कृतिक महाशक्ति माना जाता है और लम्बे समय से कला, संगीत, साहित्य, दर्शन, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, पर्यटन और वेश-भूषा का एक वैश्विक केंद्र रहा है, साथ ही विविध क्षेत्रों में बहुत प्रभावित और योगदान दिया है जिसमें सिनेमा, व्यंजन, खेल, न्यायशास्त्र, बैंकिंग और व्यवसाय शामिल हैं। इसमें विश्व की सर्वाधिक संख्या में विश्व धरोहर स्थल हैं, और यह विश्व का पंचम सबसे अधिक भ्रमण किया जाने वाला देश है।

भूगोल

इटली की मुख्य भूमि तीन तरफ़ (दक्षिण और सूर्यपारगमन की दोनो दिशाओं) से भूमध्य सागर द्वारा जलावृत है। इस प्रयद्वीप को इटली के नाम पर ही इटालियन (या इतालवी) प्रायद्वीप कहते हैं। इसका कुल क्षेत्रफल ३,०१,००० वर्ग किलोमीटर है जो मध्यप्रदेशो के क्षेत्रफल से थोड़ा कम है। द्वीपों को मिलाकर इसकी तटरेखा कोई ७,६०० किलोमीटर लंबी है। उत्तर में इसकी सीमा फ्रांस (४८८ कि.मी.), ऑस्ट्रिया (४३० कि.मी.), स्लोवेनिया (२३२ कि.मी.) तथा स्विट्ज़रलैंड से लगती है। वेटिकन सिटी तथा सैन मरीनो चारो तरफ़ से इटली से घिरे हुए हैं।

इटली की जलवायु मुख्यतः भूमध्यसागरीय है पर इसमें बहुत अधिक बदलाव पाया जाता है। उदाहरण के लिए ट्यूरिन, मिलान जैसे शहरों की जलवायु को महाद्वीपीय या आर्द्र महाद्वीपीय जलवायु की श्रेणी में रखा जा सकता है।

इटली यूरोप के दक्षिणवर्ती तीन बड़े प्रायद्वीपों में बीच का प्रायद्वीप है जो भूमध्यसागर के मध्य में स्थित है। प्रायद्वीप के पश्चिम, दक्षिण तथा पूर्व में क्रमश: तिरहेनियन, आयोनियन तथा ऐड्रियाटिक सागर हैं और उत्तर में आल्प्स पहाड़ की श्रैणियाँ फैली हुई हैं। सिसली, सार्डीनिया तथा कॉर्सिका (जो फ्रांस के अधिकार में हैं), ये तीन बड़े द्वीप तथा लिग्यूरियन सागर में स्थित अन्य टापुओं के समुदाय वस्तुत: इटली से संबद्ध हैं। प्रायद्वीप का आकार एक बड़े बूट (जूते) के समान है जो उत्तर पश्चिम से दक्षिण पूर्व को चौड़ाई 80 मील से 150 मील तक है। सुदूर दक्षिण में चौड़ाई 35 मील से 20 मील तक है।

प्राकृतिक दशा

इटली पर्वतीय देश है जिसके उत्तर में आल्प्स पहाड़ तथा मध्य में रीढ़ की भाँति अपेनाइन पर्वत की श्रृंखलाएँ फैली हुई हैं। अपेनाइन पहाड़ जेलोआ तथा नीस नगरों के मध्य से प्रारंभ होकर दक्षिण पूर्व दिशा में एड्रियाटिक समुद्रतट तक चला गया है और मध्य तथा दक्षिणी इटली में रीढ़ की भाँति दक्षिण की तरफ फैला हुआ है।

प्राकृतिक भूरचना की दृष्टि से इटली निम्नलिखित चार भागों में बाँटा जा सकता है :

(1) आल्प्स की दक्षिणी ढाल, जो इटली के उत्तर में स्थित है।

(2) पो तथा वेनिस का मैदान, जो पो आदि नदियों की लाई हुई मिट्टी से बना है।

(3) इटली प्रायद्वीप का दक्षिणी भाग, जिसमें सिसली भी सम्मिलित है। इस संपूर्ण भाग में अपेनाइन पर्वतश्रेणी अतिप्रमुख हैं।

(4) सार्डीनिया, कॉर्सिका तथा अन्य द्वीपसमूह।

किंतु वनस्पति, जलवायु तथा प्राकृतिक दृष्टि से यह प्रायद्वीप तीन भागों में बाँटा जा सकता है-

1. उत्तरी इटली, 2. मध्य इटली तथा 3. दक्षिणी इटली।

उत्तरी इटली

यह इटली का सबसे घना बसा हुआ मैदानी भाग है जो तुरीय काल में समुद्र था, बाद में नदियों की लाई हुई मिट्टी से बना। यह मैदान देश की 17 प्रतिशत भूमि घेरे हुए है जिसमें चावल, शहतूत तथा पशुओं के लिए चारा बहुतायत से पैदा होता है। उत्तर में आल्प्स पहाड़ की ढाल तथा पहाड़ियाँ हैं जिनपर चरागाह, जंगल तथा सीढ़ीनुमा खेत हैं। पर्वतीय भाग की प्राकृतिक शोभा कुछ झीलों तथा नदियों से बहुत बढ़ गई है। उत्तरी इटली का भौगोलिक वर्णन पो नदी के माध्यम ये ही किया जा सकता है। पो नदी एक पहाड़ी सोते के रूप में माउंट वीज़ो पहाड़ (ऊँचाई 6,000 फुट) से निकलकर 20 मील बहने के बाद सैलुजा के मैदान में प्रवेश करती है। सोसिया नदी के संगम से 337 मील तक इस नदी में नौपरिवहन होता है। समुद्र में गिरने के पहले नदी दो शाखाओं (पो डोल मेस्ट्रा तथा पो डि गोरो) में विभक्त हो जाती है। पो के मुहाने पर 20 मील चौड़ा डेल्टा है। नदी की कुल लंबाई 420 मील है तथा यह 29,000 वर्ग मील भूमि के जल की निकासी करती है। आल्प्स पहाड़ तथा अपेनाइंस से निकलनेवाली पो की मुख्य सहायक नदियाँ क्रमानुसार टिसिनो, अद्दा, ओगलियो और मिन्सिओ तथा टेनारो, टेविया, टारो, सेचिया और पनारो हैं। टाइबर (244 मील) तथा एड्रिज (220 मील) इटली की दूसरी तथा तीसरी सबसे बड़ी नदियाँ हैं। ये प्रारंभ में सँकरी तथा पहाड़ी हैं किंतु मैदानी भाग में इनका विस्तार बढ़ जाता है और बाढ़ आती है। ये सभी नदियाँ सिंचाई तथा विद्युत उत्पादन की दृष्टि से परम उपयोगी हैं, किंतु यातायात के लिए अनुपयुक्त। आल्प्स, अपेनाइंस तथा एड्रियाटिक सागर के मध्य में स्थित एक सँकरा समुद्रतटीय मैदान है। उत्तरी भाग में पर्वतीय ढालों पर मूल्यवान फल, जैसे जैतून, अंगूर तथा नारंगी बहुत पैदा होती है। उपजाऊ घाटी तथा मैदानों में घनी बस्ती है। इनमें अनेक गाँव तथा शहर बसे हुए हैं। अधिक ऊँचाइयों पर जंगल हैं।

मध्य इटली

मध्य इटली के बीच में अपनाइंस पहाड़ उत्तर-उत्तर-पूर्व से दक्षिण-पश्चिम की दिशा में एड्रियाटिक समुद्रतट के समांतर फैला हुआ है। अपेनाइंस का सबसे ऊँचा भाग ग्रैनसासोडी इटैलिया (9,560 फुट) इसी भाग में है। यहाँ पर्वतश्रेणियों का जाल बिछा हुआ है, जिनमें अधिकांश नवंबर से मई तक बर्फ से ढकी रहती हैं। यहाँ पर कुछ विस्तृत, बहुत सुंदर तथा उपजाऊ घाटियाँ हैं, जैसे एटरनो की घाटी (2,380 फुट)। मध्य इटली की प्राकृतिक रचना के कारण यहाँ एक ओर अधिक ठंढा, उच्च पर्वतीय भाग है तथा दूसरी ओर गर्म तथा शीतोष्ण जलवायुवाली ढाल तथा घाटियाँ हैं। पश्चिमी ढाल एक पहाड़ी ऊबड़ खाबड़ भाग है। दक्षिण में टस्कनी तथा टाइबर के बीच का भाग ज्वालामुखी पहाड़ों की देन है, अत: यहाँ शंक्वाकार पहाड़ियाँ तथा झीलें हैं। इस पर्वतीय भाग तथा समुद्र के बीच में काली मिट्टीवाला एक उपजाऊ मैदानी भाग है जिसे कांपान्या कहते हैं। मध्य इटली के पूर्वी तट की तरफ श्रेणियाँ समुद्र के बहुत निकट तक फैली हुई हैं, अत: एड्रियाटिक सागर में गिरनेवाली नदियों का महत्व बहुत कम है। यह विषम भाग फलों के उद्यानों के लिए बहुत प्रसिद्ध है। यहाँ जैतून तथा अंगूर की खेती होती है। यहाँ बड़े शहरों तथा बड़े गाँवों का अभाव है; अधिकांश लोग छोटे छोटे कस्बों तथा गाँवों में रहते हैं। खनिज संपत्ति के अभाव के कारण यह भाग औद्योगिक विकास की दृष्टि से पिछड़ा हुआ है। फुसिनस, ट्रेसिमेनो तथा चिडसी यहाँ की प्रसिद्ध झीलें हैं। पश्चिमी भाग की झीलें ज्वालामुखी पहाड़ों की देन हैं।

दक्षिणी इटली

यह संपूर्ण भाग पहाड़ी है जिसके बीच में अपेनाइंस रीढ़ की भाँति फैला हुआ है तथा दोनों ओर नीची पहाड़ियाँ हैं। इस भाग की औसत चौड़ाई 50 मील से लेकर 60 मील तक है। पश्चिमी तट पर एक सँकरा "तेरा डी लेवोरो" नाम का तथा पूर्व में आपूलिया का चौड़ा मैदान है। इन दो मैदानों के अतिरिक्त सारा भाग पहाड़ी है और अपेनाइंस की ऊँची नीची श्रंखलाओं से ढका हुआ है। पोटेंजा की पहाड़ी दक्षिणी इटली की अंतिम सबसे ऊँची पहाड़ी (पोलिनो की पहाड़ी) से मिलती है। सुदूर दक्षिण में ग्रेनाइट तथा चूने के पत्थर की, जंगलों से ढकी हुई पहाड़ियाँ तट तक चली गई हैं। लीरी तथा गेटा आदि एड्रियाटिक सागर में गिरनेवाली नदियाँ पश्चिमी ढाल पर बहनेवाली नदियों से अधिक लंबी हैं। ड्रिनगो से दक्षिण की ओर गिरनेवाली विफरनो, फोरटोरे, सेरवारो, आंटों तथा ब्रैडानो मुख्य नदियाँ हैं। दक्षिणी इटली में पहाड़ों के बीच स्थित लैगोडेल-मोटेसी झील है।

इटली के समीप स्थित सिसली, सार्डीनिया तथा कॉर्सिका के अतिरिक्त एल्वा, कैप्रिया, गारगोना, पायनोसा, मांटीक्रिस्टो, जिग्लिको आदि मुख्य मुख्य द्वीप हैं। इन द्वीपों में इस्चिया, प्रोसिदा तथा पोंजा, जो नेपुल्स की खाड़ी के पास हैं, ज्वालामुखी पहाड़ों की देन हैं। एड्रियाटिक तट पर केवल ड्रिमिटी द्वीप है।

जलवायु तथा वनस्पति

देश की प्राकृतिक रचना, अक्षांशीय विस्तार (10 डिग्री 29 मिनट) तथा भूमध्यसागरीय स्थिति ही जलवायु की प्रधान नियामक है। तीन ओर समुद्र तथा उत्तर में उच्च आल्प्स से घिरे होने के कारण यहाँ की जलवायु की विविधता पर्याप्त बढ़ जाती है। यूरोप के सबसे अधिक गर्म देश इटली में जाड़े में अपेक्षाकृत अधिक गर्मी तथा गर्मी में साधारण गर्मी पड़ती है। यह प्रभाव समुद्र से दूरी बढ़ने पर घटता है। आल्प्स के कारण यहाँ उत्तरी ठंढी हवाओं का प्रभाव नहीं पड़ता है। किंतु पूर्वी भाग में ठंढी तथा तेज बोरा नामक हवाएँ चला करती हैं। अपेनाइंस पहाड़ के कारण अंध महासागर से आनेवाली हवाओं का प्रभाव तिर हीनियन समुद्रतट तक ही सीमित रहता है।

उत्तरी तथा दक्षिणी इटली के ताप में पर्याप्त अंतर पाया जाता है। ताप का उतार चढ़ाव 52 डिग्री फा. से 66 डिग्री फा. तक होता है। दिसंबर तथा जनवरी सबसे अधिक ठंढे तथा जुलाई और अगस्त सबसे अधिक गर्म महीने हैं। पो नदी के मैदन का औसत ताप 55 डिग्री फा. तथा 500 मील दूर स्थित सिसली का औसत ताप 64 डिग्री फा. है। उत्तर के आल्प्स के पहाड़ी क्षेत्र में औसत वार्षिक वर्षा 80फ़फ़ होती है। अपेनाइंस के ऊँचे पश्चिमी भाग में भी पर्याप्त वर्षा होती है। पूर्वी लोंबार्डी के दक्षिण पश्चिमी भाग में वार्षिक वर्षा 24फ़फ़ होती है, किंतु उत्तरी भाग में उसका औसत 50फ़फ़ होता है तथा गर्मी शुष्क रहती है। आल्प्स के मध्यवर्ती भाग में गर्मी में वर्षा होती है तथा जाड़े में बर्फ गिरती है। पो नदी की द्रोणी में गर्मी में अधिक वर्षा होती है। स्थानीय कारणों के अतिरिक्त इटली की जलवायु भूमध्यसागरीय है जहाँ जाड़े में वर्षा होती है तथा गर्मी शुष्क रहती है।

जलवायु की विषमता के कारण यहाँ की बनस्पतियाँ भी एक सी नहीं हैं। मनुष्य के सतत प्रयत्नों से प्राकृतिक वनस्पतियाँ केवल उच्च पहाड़ों पर ही देखने को मिलती हैं। जहाँ नुकीली पत्तीवाले जंगल पाए जाते हैं। इनमें सरो, देवदारु, चीड़ तथा फर के वृक्ष मुख्य हैं। उत्तर के पर्वतीय ठंढे भागों में अधिक ठंडक सहन करनेवाले पौधे पाए जाते हैं। तटीय तथा अन्य निचले मैदानों में जैतून, नारंगी, नीबू आदि फलों के उद्यान लगे हुए हैं। मध्य इटली में अपेनाइंस पर्वत की ऊँची श्रेणियों को छोड़कर प्राकृतिक वनस्पति अन्यत्र नहीं है। यहाँ जैतून तथा अंगूर की खेती होती है। दक्षिणी इटली में तिरहीनियन तटपर जैतून, नारंगी, नीबू, शहतूत, अंजीर आदि फलों के उद्यान हैं। इस भाग में कंदों से उगाए जानेवाले फूल भी होते हैं। यहाँ ऊँचाई पर तथा सदाबहार जंगल पाए जाते हैं। अत: यह स्पष्ट है कि पूरे इटली को आधुनिक किसानों ने फलों, तरकारियों तथा अन्य फसलों से भर दिया है, केवल पहाड़ों पर ही जंगली पेड़ तथा झाड़ियाँ पाई जाती हैं।

कृषि

इटली वासियों का सबसे बड़ा व्यवसाय खेती है। संपूर्ण जनसंख्या का भाग खेती से ही अपनी जीविका प्राप्त करता है। जलवायु तथा प्राकृतिक दशा की विभिन्नता के कारण इस छोटे से देश में यूरोप में पैदा होनेवाली सारी चीजें पर्याप्त मात्रा में पैदा होती हैं, अर्थात् राई से लेकर चावल तक, सेब से लेकर नारंगी तक तथा अलसी से लेकर कपास तक। संपूर्ण देश मे लगभग 7,05,00,000 एकड़ भूमि उपजाऊ है, जिसमें 1,83,74,000 एकड़ में अन्न, 28,62,000 एकड़ में दाल आदि फसलें, 7,72,000 एकड़ में औद्योगिक फसलें, 14,90,000 एकड़ में तरकारियाँ, 23,86,000 एकड़ में अंगूर, 20,33,000 एकड़ में जैतून, 2,19,000 एकड़ में चरागाह और चारे की फसलें तथा 1,44,58,000 एकड़ में जंगल पाए जाते हैं। यहाँ की खेती प्राचीन ढंग से ही होती है। पहाड़ी भूमि होने के कारण आधुनिक यंत्रों का प्रयोग नहीं हो सका है।

जनसंख्या : पूर्व ऐतिहासिक काल में यहाँ की जनसंख्या बहुत कम थी। जनवृद्धि का अनुपात द्वितीय विश्वयुद्ध के पहले पर्याप्त ऊँचा था (1931 ई. में वार्षिक वृद्धि 0.87 प्रति शत थी)।

पर्वतीय भूमि तथा सीमित औद्योगिक विकास के कारण जनसंख्या का घनत्व अन्य यूरोपिय देशों की अपेक्षा बहुत कम है। अधिकांश लोग गाँवों में रहते हैं। देश में 50,000 से ऊपर जनसंख्यावाले नगरों की संख्या 70 है। यहाँ अधिकांश लोग रोमन कैथोलिक धर्म माननेवाले हैं। 1931 ई. की जनगणना के अनुसार 99.6 प्रतिशत लोग कैथोलिक थे, 0.34 प्रतिशत लोग दूसरे धर्म के थे तथा। 06 प्रतिशत ऐसे लोग थे जिनका कोई विशेष धर्म नहीं था। शिक्षा तथा कला की दृष्टि से इटली प्राचीन काल से अग्रणी रहा है। रोम की सभ्यता तथा कला इतिहासकाल में अपनी चरम सीमा तक पहुँच गई थी (द्र. "रोम")। यहाँ के कलाकार और चित्रकार विश्वविख्यात थे। आज भी यहाँ शिक्षा का स्तर बहुत ऊँचा है। निरक्षरता नाम मात्र की भी नहीं है। देश में 70 दैनिक पत्र प्रकाशित होते हैं। छविगृहों की संख्या लगभग 9,770 है (1969 ई.)।

खनिज तथा उद्योग धंधे

इटली में खनिज पदार्थ अपर्याप्त हैं, केवल पारा ही यहाँ से निर्यात किया जाता है। यहाँ सिसली (काल्टानिसेटा), टस्कनी (अरेंजो, फ्लोरेंस तथा ग्रासेटो), सार्डीनिया (कैगलिआरी, ससारी तथा इंग्लेसियास) एवं पिडमांट क्षेत्रों में ही खनिज तथा औद्योगिक विकास भली भाँति हुआ है।

देश का प्रमुख उद्योग कपड़ा बनाने का है। यहाँ 1969 ई. में सूती कपड़े बनाने के 945 कारखाने थे। रेशम का व्यवसाय पूरे इटली में होता है, किंतु लोंबार्डी, पिडमांट तथा वेनेशिया मुख्य सिल्क उत्पादक क्षेत्र हैं। 1969 में गृहउद्योग को छोड़कर रेशमी कपड़े बनाने के 24 तथा ऊनी कपड़े बनाने के 348 कारखाने थे। रासायनिक वस्तु बनाने के तथा चीनी बनाने के भी पर्याप्त कारखाने हैं। देश में मोटर, मोटर साइकिल तथा साइकिल बनाने का बहुत बड़ा उद्योग है। 1969 ई. में 15,95,951 मोटरें बनाई गई थीं जिनमें से 6,30,076 मोटरें निर्यात की गई थीं। अन्य मशीनें तथा औजार बनाने के भी बहुत से कारखाने हैं। जलविद्युत् पैदा करने का बहुत बड़ा धंधा यहाँ होता है। यहाँ 15,88,031 कारखाने हैं, जिनमें 68,00,673 व्यक्ति काम करते हैं। इटली का व्यापारिक संबंध यूरोप के सभी देशों से तथा अर्जेंटीना, संयुक्त राज्य (अमरीका) एवं कैनाडा से है। मुख्य आयात की वस्तुएँ कपास, ऊन, कोयला और रासायनिक पदार्थ हैं तथा निर्यात की वस्तुएँ फल, सूत, कपड़े, मशीनें, मोटर, मोटरसाइकिल एवं रासायनिक पदार्थ हैं। इटली का आयात निर्यात से अधिक होता है।

नगर

संपूर्ण देश 19 क्षेत्रों तथा 92 प्रांतों में बँटा हुआ है। 19वीं शताब्दी के मध्य से नगरों की संख्या काफी बढ़ी है। अत: प्रांतीय राजधानियों का महत्व बढ़ा तथा लोगों का झुकाव नगरों की तरफ हुआ। देश में एक लाख के ऊपर जनसंख्या के कुल 26 नगर हैं। सन् 1969 में 5,00,000 से अधिक जनसंख्या के नगर रोम (इटली की राजधानी, जनसंख्या 27,31,397), मिलान (17,01,612), नेपुल्स (12,76,854), तूरिन (11,77,039) तथा जेनेवा (8,41,841) हैं।

संस्कृति

विश्व में सर्वाधिक विश्व धरोहर स्थल इटली में हैं।

इटली के नगर: टोरीनो बर्गमो वेनिस रवेन्ना बारी रोमा सियेना फ्लोरेन्स पीसा नापोलि पाम्पे सोरेन्टो पलेर्मो मिलानो ट्रिएस्ट वेरोना जेनोआ ब्रिंडिसि आदि हैं।

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Sujan Solanki Sujan Solanki - Kalamkartavya.com Editor