भारतीय फिल्म जगत बॉलीवुड के अभिनेता और प्रसिद्ध हिंदी साहित्यकार अमिताभ बच्चन

Jan 21, 2023 - 21:28
Jan 21, 2023 - 11:53
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भारतीय फिल्म जगत बॉलीवुड के अभिनेता और प्रसिद्ध हिंदी साहित्यकार अमिताभ बच्चन
भारतीय फिल्म जगत बॉलीवुड के अभिनेता और प्रसिद्ध हिंदी साहित्यकार अमिताभ बच्चन

अमिताभ बच्चन भारतीय फिल्म जगत बॉलीवुड के अभिनेता और प्रसिद्ध हिंदी साहित्यकार हरिवंश राय बच्चन के सुपुत्र हैं। 1970 के दशक के दौरान उन्होंने बड़ी लोकप्रियता प्राप्त की और तब से भारतीय सिनेमा के इतिहास में प्रमुख व्यक्तित्व बन गए । अमिताभ ने अपने करियर में अनेक पुरस्कार जीते हैं, जिनमें दादासाहेब फाल्के पुरस्कार, तीन राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार और बारह फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार सम्मिलित हैं। उनके नाम सर्वाधिक सर्वश्रेष्ठ अभिनेता फ़िल्मफेयर अवार्ड का रिकार्ड है। अभिनय के अलावा बच्चन ने पार्श्वगायक, फ़िल्म निर्माता, टीवी प्रस्तोता और भारतीय संसद के एक निर्वाचित सदस्य के रूप में 1984 से 1987 तक भूमिका निभाई है। भारतीय टीवी का लोकप्रिय शो "कौन बनेगा करोड़पति" में कई वर्षों से मेजबान की भूमिका भी ये निभाते आए हैं। इस शो में उनके द्वारा किया गया 'देवियों और सज्जनों' संबोधन बहुचर्चित रहा।

अमिताभ बच्चन का विवाह अभिनेत्री जया भादुड़ी से हुआ और इनकी दो संतानें हैं, श्वेता नंदा और अभिषेक बच्चन। अभिषेक बच्चन सुप्रसिद्ध अभिनेता हैं, जिनका विवाह पूर्व विश्वसुन्दरी और अभिनेत्री ऐश्वर्या राय से हुआ है।

बच्चन पोलियो उन्मूलन अभियान के बाद अब तंबाकू निषेध परियोजना पर काम करेंगे। अमिताभ बच्चन को अप्रैल 2005 में एचआईवी/एड्स और पोलियो उन्मूलन अभियान के लिए यूनिसेफ के द्वारा सद्भावना राजदूत नियुक्त किया गया था।

आरंभिक जीवन

इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश, कायस्थ परिवार में जन्मे अमिताभ बच्चन के पिता, डॉ॰ हरिवंश राय बच्चन प्रसिद्ध हिन्दी कवि थे, जबकि उनकी माँ तेजी बच्चन अविभाजित भारत के कराची शहर से सम्बन्ध रखती थीं जो कि अब पाकिस्तान में है। आरंभ में अमित जी का नाम इंकलाब रखा गया था जो भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान प्रयोग किए गए प्रेरक वाक्यांश 'इंकलाब जिंदाबाद' से लिया गया था। लेकिन बाद में प्रसिद्ध कवि सुमित्रानंदन पंत ने इनका नाम 'अमिताभ' रखा। 'अमिताभ' का अर्थ है, "शाश्वत प्रकाश"। यद्यपि इनका उपनाम श्रीवास्तव था व वह कायस्थ जाति से सम्बन्ध रखते हैं फिर भी इनके पिता ने इस उपनाम को अपने कृतियों को प्रकाशित करने वाले बच्चन नाम से उद्धृत किया। यह उनका उपनाम ही है जिसके साथ उन्होंने फ़िल्मों में एवं सभी सार्वजनिक प्रयोजनों के लिए उपयोग किया। अब यह उनके परिवार के समस्त सदस्यों का उपनाम बन गया है।

अमिताभ, हरिवंश राय बच्चन के दो बेटों में सबसे बड़े हैं। उनके दूसरे बेटे का नाम अजिताभ है। इनकी माता तेजी बच्चन की थिएटर में गहरी रुचि थी और उन्हें फ़िल्म में रोल की पेशकश भी की गई थी किंतु इन्होंने गृहणी बनना ही पसंद किया। अमिताभ के करियर के चुनाव में इनकी माता का भी कुछ योगदान था क्योंकि वे हमेशा इस बात पर भी जोर देती थी कि उन्हें सेंटर स्टेज को अपना करियर बनाना चाहिए। बच्चन के पिता का देहांत २००३ में हो गया था जबकि उनकी माता की मृत्यु २१ दिसंबर २००७ को हुई थीं।

बच्चन ने दो बार एम. ए. की उपाधि ग्रहण की है। मास्टर ऑफ आर्ट्स (स्नातकोत्तर) इन्होंने इलाहाबाद के ज्ञान प्रबोधिनी और बॉयज़ हाई स्कूल (बीएचएस) तथा उसके बाद नैनीताल के शेरवुड कॉलेज में पढ़ाई की जहाँ कला संकाय में प्रवेश दिलाया गया। अमिताभ बाद में अध्ययन करने के लिए दिल्ली विश्वविद्यालय के किरोड़ीमल कॉलेज चले गए जहां इन्होंने विज्ञान स्नातक की उपाधि प्राप्त की। अपनी आयु के २० के दशक में बच्चन ने अभिनय में अपना कैरियर आजमाने के लिए कोलकता की एक शिपिंग फर्म बर्ड एंड कंपनी में किराया ब्रोकर की नौकरी छोड़ दी।

३ जून, १९७३ को इन्होंने बंगाली संस्कार के अनुसार अभिनेत्री जया भादुड़ी से विवाह कर लिया। इस दंपती को दो बच्चों: बेटी श्वेता और पुत्र अभिषेक पैदा हुए।

कैरियर

आरंभिक कार्य 1969 -1972

अमिताभ ने फ़िल्मों में अपने कैरियर की शुरूआत ख्वाज़ा अहमद अब्बास के निर्देशन में बनी फिल्म सात हिन्दुस्तानी के सात कलाकारों में एक कलाकार के रूप में की, उत्पल दत्त, मधु और जलाल आगा जैसे कलाकारों के साथ अभिनय कर के। फ़िल्म ने वित्तीय सफ़लता प्राप्त नहीं की पर बच्चन ने अपनी पहली फ़िल्म के लिए राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार में सर्वश्रेष्ठ नवागंतुक का पुरूस्कार जीता।[20]इस सफल व्यावसायिक और समीक्षित फ़िल्म के बाद उनकी एक और आनंद (१९७१) नामक फ़िल्म आई जिसमें उन्होंने उस समय के लोकप्रिय कलाकार राजेश खन्ना के साथ काम किया। डॉ॰ भास्कर बनर्जी की भूमिका करने वाले बच्चन ने कैंसर के एक रोगी का उपचार किया जिसमें उनके पास जीवन के प्रति वेबकूफी और देश की वास्तविकता के प्रति उसके दृष्टिकोण के कारण उसे अपने प्रदर्शन के लिए सर्वश्रेष्ठ सहायक कलाकार का फिल्मफेयर पुरस्कार मिला। इसके बाद अमिताभ ने (१९७१) में बनी परवाना में एक मायूस प्रेमी की भूमिका निभाई जिसमें इसके साथी कलाकारों में नवीन निश्चल, योगिता बाली और ओम प्रकाश थे और इन्हें खलनायक के रूप में फ़िल्माना अपने आप में बहुत कम देखने को मिलने जैसी भूमिका थी। इसके बाद उनकी कई फ़िल्में आई जो बॉक्स ऑफिस पर उतनी सफल नहीं हो पाई जिनमें रेशमा और शेरा भी शामिल थी और उन दिनों इन्होंने गुड्डी फ़िल्म में मेहमान कलाकार की भूमिका निभाई थी। इनके साथ इनकी पत्नी जया भादुड़ी के साथ धर्मेन्द्र भी थे। अपनी जबरदस्त आवाज के लिए जाने जाने वाले अमिताभ बच्चन ने अपने कैरियर के प्रारंभ में ही उन्होंने बावर्ची फ़िल्म के कुछ भाग का बाद में वर्णन किया। १९७२ में निर्देशित एस. रामनाथन द्वारा निर्देशित कॉमेडी फ़िल्म बॉम्बे टू गोवा में भूमिका निभाई। इन्होंने अरुणा ईरानी, महमूद, अनवर अली और नासिर हुसैन जैसे कलाकारों के साथ कार्य किया है। अपने संघर्ष के दिनों में वे ७ (सात) वर्ष की लंबी अवधि तक अभिनेता, निर्देशक एवं हास्य अभिनय के बादशाह महमूद साहब के घर में रूके रहे।

स्टारडम की ओर उत्थान 1973 -1983

१९७३ में जब प्रकाश मेहरा ने इन्हें अपनी फ़िल्म ज़ंजीर (१९७३) में इंस्पेक्टर विजय खन्ना की भूमिका के रूप में अवसर दिया तो यहीं से इनके कैरियर में प्रगति का नया मोड़ आया । यह फ़िल्म इससे पूर्व के रोमांस भरे सार के प्रति कटाक्ष था जिसने अमिताभ बच्चन को एक नई भूमिका एंग्री यंगमैन में देखा जो बॉलीवुड के एक्शन हीरो बन गए थे, यही वह प्रतिष्‍ठा थी जिसे बाद में इन्हें अपनी फ़िल्मों में हासिल करते हुए उसका अनुसरण करना था। बॉक्स ऑफिस पर सफलता पाने वाले एक जबरदस्त अभिनेता के रूप में यह उनकी पहली फ़िल्म थी, जिसने उन्हें सर्वश्रेष्‍ठ पुरूष कलाकार फ़िल्मफेयर पुरस्कार के लिए मनोनीत करवाया। १९७३ ही वह साल था जब इन्होंने ३ जून को जया से विवाह किया और इसी समय ये दोनों न केवल जंजीर में बल्कि एक साथ कई फ़िल्मों में दिखाई दिए जैसे अभिमान जो इनकी शादी के केवल एक मास बाद ही रिलीज हो गई थी। बाद में हृषिकेश मुखर्जी के निदेर्शन तथा बीरेश चटर्जी द्वारा लिखित नमक हराम फ़िल्म में विक्रम की भूमिका मिली जिसमें दोस्ती के सार को प्रदर्शित किया गया था। राजेश खन्ना और रेखा के विपरीत इनकी सहायक भूमिका में इन्हें बेहद सराहा गया और इन्हें सर्वश्रेष्ठ सहायक कलाकार का फ़िल्मफेयर पुरस्कार दिया गया।

१९७४ की सबसे बड़ी फ़िल्म रोटी कपड़ा और मकान में सहायक कलाकार की भूमिका करने के बाद बच्चन ने बहुत सी फ़िल्मों में कई बार मेहमान कलाकार की भूमिका निभाई जैसे कुँवारा बाप और दोस्त। मनोज कुमार द्वारा निदेशित और लिखित फ़िल्म जिसमें दमन और वित्तीय एवं भावनात्मक संघर्षों के समक्ष भी ईमानदारी का चित्रण किया गया था, वास्तव में आलोचकों एवं व्यापार की दृष्टि से एक सफल फ़िल्म थी और इसमें सह कलाकार की भूमिका में अमिताभ के साथी के रूप में मनोज कुमार स्वयं और शशि कपूर एवं जीनत अमान थीं। बच्चन ने ६ दिसंबर १९७४ की बॉलीवुड की फ़िल्में|१९७४ को रिलीज मजबूर फ़िल्म में अग्रणी भूमिका निभाई यह फ़िल्म हालीवुड फ़िल्म जिगजेग की नकल कर बनाई थी जिसमें जॉर्ज कैनेडी अभिनेता थे, किंतु बॉक्स ऑफिस पर यह कुछ खास नहीं कर सकी और १९७५ में इन्होंने हास्य फ़िल्म चुपके चुपके, से लेकर अपराध पर बनी फ़िल्म फ़रार और रोमांस फ़िल्म मिली में अपने अभिनय के जौहर दिखाए। तथापि, १९७५ का वर्ष ऐसा वर्ष था जिसमें इन्होंने दो फ़िल्मों में भूमिकाएं की और जिन्हें हिंदी सिनेमा जगत में बहुत महत्त्वपूर्ण माना जाता है। इन्होंने यश चोपड़ा द्वारा निर्देशित फ़िल्म दीवार में मुख्‍य कलाकार की भूमिका की जिसमें इनके साथ शशि कपूर, निरूपा रॉय और नीतू सिंह थीं और इस फ़िल्म ने इन्हें सर्वश्रेष्‍ठ अभिनेता का फ़िल्मफेयर पुरस्कार दिलवाया। १९७५ में यह फ़िल्म बॉक्स ऑफिस पर हिट रहकर चौथे स्थान पर रही और इंडियाटाइम्स की मूवियों में बॉलीवुड की हर हाल में देखने योग्य शीर्ष २५ फिल्मों में भी नाम आया। 

१५ अगस्त, १९७५ को रिलीज शोले है और भारत में किसी भी समय की सबसे ज्यादा आय अर्जित करने वाली फिल्‍म बन गई है जिसने २,३६,४५,००,००० रू० कमाए जो मुद्रास्फीति को समायोजित करने के बाद ६० मिलियन अमरीकी डालर के बराबर हैं। बच्चन ने इंडस्ट्री के कुछ शीर्ष के कलाकारों जैसे धर्मेन्‍द्र, हेमा मालिनी, संजीव कुमार, जया बच्चन और अमज़द ख़ान के साथ जयदेव की भूमिका अदा की थी। १९९९ में बीबीसी इंडिया ने इस फ़िल्म को शताब्दी की फ़िल्म का नाम दिया और दीवार की तरह इसे इंडियाटाइम्‍ज़ मूवियों में बालीवुड की शीर्ष २५ फिल्‍मों में[26] शामिल किया। उसी साल ५० वें वार्षिक फिल्म फेयर पुरस्कार के निर्णायकों ने एक विशेष पुरस्कार दिया जिसका नाम ५० सालों की सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म फिल्मफेयर पुरूस्कार था। बॉक्स ऑफिस पर शोले जैसी फ़िल्मों की जबरदस्त सफलता के बाद बच्चन ने अब तक अपनी स्थिति को मजबूत कर लिया था और १९७६ से १९८४ तक उन्हें अनेक सर्वश्रेष्ठ कलाकार वाले फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार और अन्य पुरस्कार एवं ख्याति मिली। हालांकि शोले जैसी फ़िल्मों ने बालीवुड में उसके लिए पहले से ही महान एक्शन नायक का दर्जा पक्का कर दिया था, फिर भी बच्चन ने बताया कि वे दूसरी भूमिकाओं में भी स्वयं को ढाल लेते हैं और रोमांस फ़िल्मों में भी अग्रणी भूमिका कर लेते हैं जैसे कभी कभी (१९७६) और कामेडी फ़िल्मों जैसे अमर अकबर एन्थनी (१९७७) और इससे पहले भी चुपके चुपके (१९७५) में काम कर चुके हैं। १९७६ में इन्हें यश चोपड़ा ने अपनी दूसरी फ़िल्म कभी कभी में साइन कर लिया यह और एक रोमांस की फ़िल्म थी, जिसमें बच्चन ने एक अमित मल्‍होत्रा के नाम वाले युवा कवि की भूमिका निभाई थी जिसे राखी गुलजार द्वारा निभाई गई पूजा नामक एक युवा लड़की से प्रेम हो जाता है। इस बातचीत के भावनात्मक जोश और कोमलता के विषय अमिताभ की कुछ पहले की एक्शन फ़िल्मों तथा जिन्हें वे बाद में करने वाले थे की तुलना में प्रत्यक्ष कटाक्ष किया।

इस फिल्‍म ने इन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का फ़िल्मफेयर पुरस्कार के लिए नामित किया और बॉक्स ऑफिस पर यह एक सफल फ़िल्म थी। १९७७ में इन्होंने अमर अकबर एन्थनी में अपने प्रदर्शन के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का फ़िल्मफेयर पुरस्कार जीता। इस फ़िल्म में इन्होंने विनोद खन्ना और ऋषि कपूर के साथ एनथॉनी गॉन्सॉलनेज़ के नाम से तीसरी अग्रणी भूमिका की थी। १९७८ संभवत: इनके जीवन का सर्वाधिक प्रशंसनीय वर्ष रहा और भारत में उस समय की सबसे अधिक आय अर्जित करने वाली चार फ़िल्मों में इन्होंने स्टार कलाकार की भूमिका निभाई। इन्‍होंने एक बार फिर कस्मे वादे जैसी फ़िल्मों में अमित और शंकर तथा डॉन में अंडरवर्ल्ड गैंग और उसके हमशक्ल विजय के रूप में दोहरी भूमिका निभाई.इनके अभिनय ने इन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के फ़िल्मफेयर पुरस्कार दिलवाए और इनके आलोचकों ने त्रिशूल और मुकद्दर का सिकन्दर जैसी फ़िल्मों में इनके अभिनय की प्रशंसा की तथा इन दोनों फ़िल्मों के लिए इन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का फ़िल्मफेयर पुरस्कार मिला। इस पड़ाव पर इस अप्रत्याशित दौड़ और सफलता के नाते इनके कैरियर में इन्हें फ्रेन्‍काइज ट्रूफोट नामक निर्देशक द्वारा वन मेन इंडस्ट्री का नाम दिया।

पुरस्कार, सम्मान और पहचान

अमिताभ बच्चन को सन २००१ में भारत सरकार ने कला क्षेत्र में पद्म भूषण से सम्मानित किया था।

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