तेलंगाना कि राजधानी हैदराबाद का इतिहास

Jan 28, 2023 - 08:20
Jan 27, 2023 - 12:31
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तेलंगाना कि राजधानी हैदराबाद का इतिहास

हैदराबाद (तेलुगु: ) भारत के राज्य तेलंगाना कि राजधानी है। यह नगर दक्कन के पठार पर मूसी नदी के किनारे स्थित है। 542 मी॰ (1,778 फीट) की औसत ऊंचाई के साथ, हैदराबाद का अधिकांश भाग कृत्रिम झीलों के आसपास पहाड़ी इलाके में स्थित है, जिसमें हुसैन सागर झील भी शामिल है, जो शहर के केंद्र के उत्तर में शहर की स्थापना से पहले की है। हैदराबाद शहर की आबादी 6.9 मिलियन है, हैदराबाद मेट्रोपॉलिटन रीजन में लगभग 9.7 मिलियन के साथ, यह भारत का चौथा सबसे अधिक आबादी वाला शहर है और भारत में छठा सबसे अधिक आबादी वाला शहरी समूह है। 74 बिलियन अमेरिकी डॉलर के उत्पादन के साथ, हैदराबाद भारत के समग्र सकल घरेलू उत्पाद में पांचवां सबसे बड़ा योगदानकर्ता है। 1956 से, हैदराबाद शहर ने भारत के राष्ट्रपति के शीतकालीन कार्यालय को रखा है। 20वीं शताब्दी के दौरान दक्कन का पठार और पश्चिमी घाट के बीच हैदराबाद के केंद्रीय स्थान और औद्योगिकीकरण ने प्रमुख भारतीय अनुसंधान, विनिर्माण, शैक्षिक और वित्तीय संस्थानों को आकर्षित किया। 1990 के दशक के बाद से, शहर फार्मास्यूटिकल्स और जैव प्रौद्योगिकी के भारतीय केंद्र के रूप में उभरा है। सूचना प्रौद्योगिकी के लिए समर्पित विशेष आर्थिक क्षेत्रों और हाईटेक सिटी के गठन ने अग्रणी बहुराष्ट्रीय कंपनियों को हैदराबाद में परिचालन स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित किया है।

शहर में स्थित तेलुगु फिल्म उद्योग देश का दूसरा सबसे बड़ा चलचित्र निर्माता है। कहा जाता है कि किसी समय में इस ख़ूबसूरत शहर को क़ुतुबशाही परम्परा के पांचवें शासक मुहम्मद कुली क़ुतुबशाह ने अपनी प्रेमिका भागमती को उपहार स्वरूप भेंट किया था। हैदराबाद को 'निज़ाम का शहर' तथा 'मोतियों का शहर' भी कहा जाता है।

यह भारत के सर्वाधिक विकसित नगरों में से एक है और भारत में सूचना प्रौधोगिकी एवं जैव प्रौद्यौगिकी का केन्द्र बनता जा रहा है। हुसैन सागर से विभाजित, हैदराबाद और सिकंदराबाद जुड़वां शहर हैं। हुसैन सागर का निर्माण सन १५६२ में इब्राहीम कुतुब शाह के शासन काल में हुआ था और यह एक मानव निर्मित झील है। चारमीनार, इस क्षेत्र में प्लेग महामारी के अंत की यादगार के तौर पर मुहम्मद कुली कुतुब शाह ने १५९१ में, शहर के बीचों बीच बनवाया था। गोलकुंडा के क़ुतुबशाही सुल्तानों द्वारा बसाया गया यह शहर ख़ूबसूरत इमारतों, निज़ामी शानो-शौक़त और लजीज खाने के कारण मशहूर है और भारत के मानचित्र पर एक प्रमुख पर्यटन स्थल के रूप में अपनी अलग अहमियत रखता है। निज़ामोन के इस शहर में आज भी हिन्दू-मुस्लिम सांप्रदायिक सौहार्द्र से एक-दूसरे के साथ रहकर उनकी खुशियों में शरीक होते हैं। अपने उन्नत इतिहास, संस्कृति, उत्तर तथा दक्षिण भारत के स्थापत्य के मौलिक संगम, तथा अपनी बहुभाषी संस्कृति के लिये भौगोलिक तथा सांस्कृतिक दोनों रूपों में जाना जाता है। यह वह स्थान रहा है जहां हिन्दू और मुसलमान शांतिपूर्वक शताब्दियों से साथ साथ रह रहे हैं।

निजामी ठाठ-बाट के इस शहर का मुख्य आकर्षण चारमीनार, हुसैन सागर झील, बिड़ला मंदिर, सालार जंग संग्रहालय आदि है, जो देश-विदेश इस शहर को एक अलग पहचान देते हैं। यह भारतीय महानगर बंगलौर से 574 किलोमीटर दक्षिण में, मुंबई से 750 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व में तथा चेन्नई से 700 किलोमीटर उत्तर-पश्चिम में स्थित है। किसी समय नवाबी परम्परा के इस शहर में शाही हवेलियां और निज़ामों की संस्कृति के बीच हीरे जवाहरात का रंग उभर कर सामने आया तो कभी स्वादिष्ट नवाबी भोजन का स्वाद। इस शहर के ऐतिहासिक गोलकुंडा दुर्ग की प्रसिद्धि पार-द्वार तक पहुंची और इसे उत्तर भारत और दक्षिणांचल के बीच संवाद का अवसर सालाजार संग्रहालय तथा चारमीनार ने प्रदान किया है। भारत की जनगणना २०११ के अनुसार इस महानगर की जनसंख्या ६८ लाख से अधिक है।

गोलकोंडा का पुराना क़िला राज्य की राजधानी के लिए अपर्याप्त सिद्ध हुआ और इसलिए लगभग 1591 में क़ुतुबशाही वंश में पांचवें, मुहम्मद कुली क़ुतुबशाह ने पुराने गोलकोंडा से कुछ मील दूर "मूसा नदी" {जो आज मूसी नदी के नाम से जाना जाता है} के किनारे हैदराबाद नामक नया नगर बनाया।

चार खुली मेहराबों और चार मीनारों वाली भारतीय-अरबी शैली की भव्य वास्तुशिल्पीय रचना चारमीनार, क़ुतुबशाही काल की सर्वोच्च उपलब्धि मानी जाती है। यह वह केंद्र है, जिसके आसपास बनाई गई मक्का मस्जिद 10 हज़ार लोगो को समाहित कर सकती है। हैदराबाद अपने सौंदर्य और समृद्धि के लिए जाना जाता है। चारमीनार के बगल में लाड-बाजार, गुलजार हौज, मशहूर विक्रय केंद्र है।

हैदरबाद नाम के पीछे कई धारणायें हैं। एक प्रसिद्ध धारणा है कि इस शहर को बसाने के बाद मुहम्मद कुली कुतुब शाह एक स्थानीय बंजारा लड़की भागमती से प्रेम कर बैठा। लड़की से विवाह के बाद लड़की को इस्लाम स्वीकार कराया गया और इस्लामी संस्कृति के अनुसार उसका नया नाम भागमती से बदल कर हैदर महल कर दिया गया - और शहर का भी नया नाम हैदराबाद (अर्थात : "हैदर के नाम पर बसाया गया शहर") 

1851 में हैदराबाद के उपनगरों में मेगालिथिक दफन स्थलों और केयर्न सर्कल की खोज, निज़ाम की सेवा में एक पॉलीमैथ फिलिप मीडोज टेलर ने इस बात का सबूत दिया था कि जिस क्षेत्र में शहर खड़ा है वह पाषाण युग से बसा हुआ है। शहर के पास खुदाई करने वाले पुरातत्वविदों ने 500 ईसा पूर्व के लौह युग के स्थलों का पता लगाया है। आधुनिक हैदराबाद और उसके आसपास के क्षेत्र में चालुक्य वंश का शासन 624 ई. से 1075 ई. तक था।  11 वीं शताब्दी में चालुक्य साम्राज्य के चार भागों में विघटन के बाद, गोलकुंडा-अब हैदराबाद का हिस्सा- 1158 से काकतीय वंश के नियंत्रण में आ गया, जिसकी सत्ता का स्थान वारंगल में था- आधुनिक के उत्तर-पूर्व में 148 किमी (92 मील) हैदराबाद। काकतीय शासक गणपतिदेव 1199-1262 ने अपने पश्चिमी क्षेत्र की रक्षा के लिए एक पहाड़ी की चोटी पर चौकी का निर्माण किया- जिसे बाद में गोलकोण्डा किला के नाम से जाना गया।

गोलकुंडा सल्तनत के शासक परिवार, "कुतुब शाही" राजवंश का संस्थापक मुहम्मद क़ुली क़ुतुब शाह था। १५१२ में स्वतंत्र सल्तनत बनने से पहले यह राजवंश बहमनी सल्तनत के आधीन था। १५९१ में इस राजवंश के एक शासक मुहम्मद कुली कुतुब शाह ने मूसी नदी के तट पर हैदराबाद शहर की स्थापना की।यह स्थान परिवर्तन, पुराने मुख्यालय गोलकोण्डा में राजवंश को हो रही पानी की कमी के कारण करना पड़ा । कहा जाता है कि, इससे पहले कि प्लेग की महामारी उसकी नये बसाये शहर में फैल पाती, उस पर काबू पाया जा सका, इसलिये उसने उसी साल, चारमीनार बनवाने का भी आदेश दिया।

१६वीं शताब्दी और शुरुआती १७वीं शताब्दी में, जैसे जैसे कुतुब शाही राजवंश की शक्ति और सत्ता बढ़ती गई, हैदराबाद हीरों के व्यापार का केंद्र बनता गया। महारानी एलीजाबेथ के राजमुकुट में जड़ा विश्व में सर्वाधिक प्रसिद्ध कोह-ए-नूर, गोलकुंडा की हीरों की खानें से ही निकला है। कुतुब शाही राजवंश ने हैदराबाद में हिन्दुस्तानी - फ़ारसी और हिन्दुस्तानी-इस्लामी साहित्य के विकास में भी सहयोग किया। कुछ सुल्तान स्थानीय तेलगू संस्कृति के संरक्षक भी माने जाते हैं। १६वीं शताब्दी में शहर गोलकुंडा की जनसंख्या के बसने के लिये बढ़ा और फलतः कुतुब शाही शासकों की राजधानी बन गया। हैदराबाद अपने बागों और सुखद मौसम के लिये जाना जाने लगा। कुतुब शाही काल में प्रधान मंत्री मीर मोमिन अस्टाराबादी ने चारमीनार और चार कमान के स्थान सहित हैदराबाद शहर की योजना विकसित की।

१६८७ में, मुगल शासक औरंगजेब ने हैदराबाद पर अधिकार कर लिया। इस कम समय के मुगल शासन के दौरान, हैदराबाद का सौभाग्य क्षय होने लगा। जल्द ही, मुगल शासक के द्वारा नियुक्त शहर के सूबेदार ने अधिक स्वायत्ता पा ली।

१७२४ में असफ़ जाह प्रथम, जिसे मुगल सम्राट ने "निज़ाम-उल-मुल्क" का खिताब दिया था, ने एक विरोधी अधिकारी को हैदराबाद पर अधिकार स्थापित करने में हरा दिया। इस तरह आसफ़ जाह राजवंश का प्रारंभ हुआ, जिसने हैदराबाद पर भारत की अंग्रेजों से स्वतंत्रता के एक साल बाद तक शासन किया। आसफ़ जाह के उत्तराधिकारीयों ने हैदराबाद स्टेट पर राज्य किया, वे निज़ाम कहलाते थे। इन सात निजामों के राज्य में हैदराबाद सांस्कृतिक और आर्थिक दोनों भांति विकसित हुआ। हैदराबाद राज्य की आधिकारिक राजधानी बन गया और पुरानी राजधानी गोलकुंडा छोड़ दी गयी। बड़े बड़े जलाशय जैसे कि निज़ाम सागर, तुंगबाद्र, ओसमान सागर, हिमायत सागर और भी कई बनाये गये। नागार्जुन सागर परियोजना के लिये सर्वे भी इसी समय शुरु किया गया, जिसे भारत सरकार ने १९६९ में पूरा किया। हैदराबाद के लगभग सभी प्रमुख सार्वजनिक इमारतों और संस्थानों, जैसे उस्मानिया जनरल अस्पताल, हैदराबाद उच्च न्यायालय, जुबली हॉल, गवर्नमेंट निज़ामिआ जनरल हॉस्पिटल, मोजाम जाही बाजार, कचिगुडा रेलवे स्टेशन, असफिया लाइब्रेरी (राज्य केंद्रीय पुस्तकालय), निज़ाम शुगर फैक्ट्री, टाउन हॉल (असेंबली हॉल), हैदराबाद संग्रहालय अब राज्य संग्रहालय के रूप में जाना जाता है और कई अन्य स्मारक इस शासनकाल के दौरान बनाए गए थे।

जब १९४७ में भारत स्वतंत्र हुआ, ब्रिटिश शासन से हुई शर्तों के तहत हैदराबाद ने; जिसका प्रतिनिधित्व मुख्यमंत्री, मंत्रिमंडल और 'निज़ाम' कर रहे थे, स्वतंत्र होने को चुना, एक मुक्त शासक की भांति या ब्रिटिश साम्राज्य की रियासत की भांति भारत ने हैदराबाद स्टेट पर आर्थिक नाकेबंदी लगा दी। परिणामतः हैदराबाद स्टेट को एक विराम समझौता करना पड़ा | भारत की स्वतंत्रता के करीब एक साल बाद, १७ सितम्बर १९४८ के दिन निज़ाम ने अधिमिलन प्रपत्र पर हस्ताक्षर किये। १ नवम्बर १९५६ को भारत का भाषायी आधार पर पुर्नसंगठन किया गया। हैदराबाद स्टेट के प्रदेश नये बने आन्ध्र प्रदेश, मुंबई (बाद में महाराष्ट्र) और कर्नाटक राज्यों में तेलुगुभाषी लोगों के अनुसार बांट दिये गये। इस तरह हैदराबाद नए बने राज्य आंध्र प्रदेश की राजधानी बना।

हैदराबाद शहर दक्षिण भारत के तेलंगाना राज्य में स्थित है। यह देक्कन क्षेत्र में है जो, समुद्र तट से ५४१ मीटर, ६२५किमी२ क्षेत्र ऊपर स्थित है। ग्रेटर हैदराबाद 650 कि॰मी2 (250 वर्ग मील) को कवर करता है, जो इसे भारत के सबसे बड़े महानगरीय क्षेत्रों में से एक बनाता है। 542 मी॰ (1,778 फीट) की औसत ऊंचाई के साथ, हैदराबाद मुख्य रूप से भूरे और गुलाबी ग्रेनाइट के ढलान वाले इलाके में स्थित है, जो छोटी पहाड़ियों से युक्त है, सबसे ऊंची बंजारा हिल्स 672 मी॰ (2,205 फीट) है। शहर में कई झीलें हैं जिन्हें कभी सागर कहा जाता है, जिसका अर्थ है "समुद्र"। उदाहरणों में मुसी पर बांधों द्वारा बनाई गई कृत्रिम झीलें शामिल हैं, जैसे हुसैन सागर (शहर के केंद्र के पास 1562 में निर्मित), उस्मान सागर और हिमायत सागर। 1996 तक, शहर में 140 झीलें और 834 पानी के टैंक (तालाब) थे।

कुतुब शाही राजवंश के शासनकाल के दौरान बनी हुसैन सागर झील कभी हैदराबाद के लिए पीने के पानी का स्रोत थी।
मूल हैदराबाद शहर मूसी नदी के किनारे स्थापित हुआ था। इसे अब ऐतिहासिक पुराना शहर कहा जाता है, जहां चारमीनार, मक्का मस्जिद आदि बने हैं, वह नदी के दक्षिणी किनारे पर बसा है। नगर का केन्द्र नदी के उत्तर में स्थानांतरित हो गया है। यहां कई सरकारी इमारतें व मुख्य स्थल बने हैं, खासकर हुसैन सागर झील के दक्षिण में। इस नगर की त्वरित प्रगति साथ जुड़े सिकंदराबाद व अन्य पड़ोसी क्षेत्रों सहित हुई है, जिससे यह महानगरों की श्रेणी में आ गया है। यहां का मौसम इस प्रकार से है:

ग्रीष्म काल (मई): औसत अधिकतम तापमान: 40 डिग्री से० औसत न्यूनतम : 25 डिग्री से०
हेमन्त काल (दिसंबर): औसत अधिकतम तापमान 28 डिग्री से०, औसत न्यूनतम: 13 डिग्री से०
अधिकतम अंकित : 45.6 शिग्री से०, न्यूनतम अंकित:6.1 डिग्री से०
वार्षिक वर्षा: 79 से.मी.
भुगर्भीय प्रणाली: आर्कियन
मृदा: लाल बलुआ, साथ ही काली कॉटन मृदा के क्षेत्र भि हैं।
निकटवर्ती भूभाग: पथरीला/पहाड़ी (हैदराबाद के निकटवर्ती क्षेत्र अपनी संदर पाषाण बनावट के लिये प्रसिद्ध हैं।)
जलवायु: उष्णकटिबन्धीय नम एवं शुष्क

यदि किसी को कोई बड़ी स्वास्थ्य समस्या है, तो हैदराबाद, उभरता हुआ सर्वश्रेष्ठ स्थानों में से एक है, उपचार हेतु। नगर पहले ही औषधि का केन्द्र है, जहां औषधियों का कई करोड़ का व्यापार है। यहां कई सस्ते व अच्छे अस्पताल भी हैं।

हैदराबाद का प्रशासन District Magistrate या Collector द्वारा प्रशासित है जो एक IAS अधिकारी होते हैं। इसके अलावा शहर के साफ - सफाई के लिए एक नगरपालिका भी है जिसे ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम कहते हैं।  इस पालिका के अध्यक्ष यहां के महापौर हैं, जिन्हें कई कार्यपालक क्षमताएं निहित हैं। पालिका की मुख्य क्षमता नगरमहापालिका आयुक्त, एक आइ ए एस के पास है, जो तेलंगाना सरकार द्वारा नियुक्त होता है।


जीएचएमसी को छह नगरपालिका क्षेत्रों में बांटा गया है
हैदराबाद एक सौ 50 म्युनिसिपल वार्ड्स में बंटा हुआ है। प्रत्येक वार्ड का एक कॉर्पोरेटर होता है, जो पालिका के चुनावों में चयनित होता है। हैदराबाद में एक जिला है, जो जिला मैजिस्ट्रेट के अधीन आता है। इन्हें कलेक्टर भी कहा जाता है। कलेक्टर संपत्ति आंकड़ों व राजस्व संग्रहण का प्रभारी होता है। यही नगर में होने वाले चुनावों की प्रक्रिया का निरीक्षण भी करता है। महानगरीय क्षेत्र में रंगारेड्डी जिला भी आता है, जो पूर्व हैदराबाद में से काट कर बना था।

अन्य महानगरों की भांति, यहां भी एक पुलिस आयुक्त, आई पी एस होता है। हैदराबाद पुलिस राज्य गृह मंत्रालय के अधीन आती है। हैदराबाद में पांच पुलिस मंडल हैं, प्रत्येक का एक पुलिस उपायुक्त है। यहां की यातायात पुलिस भी हैदराबाद पुलिस के अधीन, अर्ध-स्वायत्तता प्राप्त संस्था है।

यहां एक राज्य उच्च न्यायालय है। इसके साथ ही दो निचले न्यायालय भी हैं। ये हैं: स्मॉल कॉज़ेज़ कोर्ट: नागरिक (दीवानी) मामलों हेतु, व सैशन कोर्ट: आपराधिक (फौजदारी) मामलों हेतु।

जीएचएमसी क्षेत्र में 24 राज्य विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र शामिल हैं,जो लोकसभा के पांच निर्वाचन क्षेत्रों (भारत की संसद का निचला सदन) का निर्माण करते हैं। हैदराबाद लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र के अलावा, हैदराबाद की राजधानी और उसके आसपास चार अन्य लोकसभा क्षेत्र हैं - मल्काजगिरि, सिकंदराबाद, चेवेल्ला और मेदक।

आधिकारिक रूप से भारत सरकार हैदराबाद को महानगर मानती है।

हैदराबाद आंध्र प्रदेश की वित्तीय एवं आर्थिक राजधानी भी है। यह शहर राज्य के सकल घरेलू उत्पाद, कर एवं राजस्व का सर्वाधिक अंशदाता है। 1990 के दशक से इस शहर का आर्थिक प्रारूप बदल कर, एक प्राथमिक सेवा नगर से बहु-सेवा वर्णक्रम स्वरूप हो गया है, जिसमें व्यापार, यातायात, वाणिज्य, भण्डारण, संचार, इत्यादि सभी सम्मिलित हैं। सेवा उद्योग मुख्य अंशदाता है, जिसमें शहरी श्रमशक्ति कुल शक्ति का 90% है।

सुरम्य हुसैन सागर झील के किनारे पीपुल्स प्लाजा में 'लव हैदराबाद' मूर्तिकला
हैदराबाद को मोतीयों का नगर भी कहा जाता है। और सूचना प्रौद्योगिकी में तो इसने बंगलौर को भी पछाड़ दिया है। मोतिओं का बाजार चार मीनार के पास स्थित है। मोतिओं से बने आभूषण चारकमान बाज़ार से या अन्य मुख्य बाज़ारों से भी लिये जा सकते हैं। चांदी के उत्पाद (बर्तन व मूर्तियां, इत्यादि), साड़ियां, निर्माल एवं कलमकारी पेंटिंग्स व कलाकृतियां, अनुपम बिदरी हस्तकला की वस्तुएं, लाख की रत्न जड़ित चूड़ियां , रेशमी व सूती हथकरघा वस्त्र यहां बनते हैं, व इनका व्यापार सदियों से चला आ रहा है।

आंध्र प्रदेश को पूर्व हैदराबाद राज्य से कई बड़े शिक्षण संस्थान, अनुसंधान प्रयोगशालाएं, अनेकों निजी एवं सार्वजनिक संस्थान मिले हैं। मूल शोध हेतु अवसंरचना सुविधाएं यहां देश की सर्वश्रेष्ठ हैं, जिसके कारण ही एक बड़ी संख्या में शिक्षित लोग देश भर से यहां आकर बसे हुए हैं।

हैदराबाद औषधीय उद्योग का भी एक प्रमुख केन्द्र है, जहां डॉ रेड्डीज़ लैब, मैट्रिक्स लैबोरेटरीज़, हैटरो ड्रग्स लि०, डाइविस लैब्स औरोबिन्दो फार्मा लि० तथा विमता लैब्स जैसी बड़ी कम्पनियां स्थापित हैं। जीनोम वैली एवं नैनोटैक्नोलॉजी पार्क, जैसी परियोजनाओं द्वारा, जैव प्रौद्योगिकी की अत्यधिक संरचनाएं यहां स्थापित होने की भरपूर आशा है।

हैदराबाद में भी, भारत के कई अन्य शहरों की ही भांति, भू-संपदा व्यापार (रियल एस्टेट) भी खूब पनपा है। इसके लिये सूचना प्रौद्योगिकी को धन्यवाद है, जिसके कारण यहां की प्रगति कुछ ही वर्षों में चहुमुखी हो गयी है। शहर में कई बड़े शॉपिंग मॉल भी बने हैं।

हैदराबाद शहर, अपनी सूचना प्रौद्योगिकी एवं आई टी एनेबल्ड सेवाएं, औषधि, मनोरंजन उद्योग (फिल्म) के लिये प्रसिद्ध है। कई कॉल सेंटर, बिज़नेस प्रोसेस आउटसोर्सिंग (बी पी ओ) कम्पनियां, जो सूचना प्रौद्योगिकी व अन्य तकनीकी सेवाओं से संबंधित हैं, यहां 1990 के दशक में स्थापित की गयीं, जिन्होंने इसे भारत क्के कॉल सेंटर सेटप शहरों में से एक बनाया।


निर्माण के बाद दुर्गम चेरुवु पुल
एक उप-शहर भी बसाया गया है- हाईटेक सिटी, जहां कई सू.प्रौ, एवं आई टी ई एस कम्पनियों ने अपने प्रचालन आरम्भ किये। सूचना प्रौ. के इस त्वरित विस्तार की कारण कभी-कभी इस शहर को साइबराबाद भि कहा गया है। साथ ही इसे बंगलौर के बाद द्वितीय साइबर वैली भी कह जाता है। इस शहर में डिजिटल मूलसंरचना में काफी निवेश हुआ है। इस निवेश से कई बड़ी कंपनियों ने अपने परिसर भी बसाये हैं। कई बहुराष्ट्रीय कम्पनियों ने अपने केन्द्र शहर में खोले हैं। ऐसे मुख्य केन्द्र माधापुर व गाचीबावली में अधिक हैं। हैदराबाद से आईटी का निर्यात वित्त वर्ष 2019-20 में ₹ 128,807 करोड़ (यूएस 15 बिलियन) भारत में दूसरे स्थान पर रहा, जो वित्त वर्ष 2018-19 में ₹ 109,219 करोड़ ($ 14 बिलियन, 17% सीएजीआर) से बेहतर है। 2020 तक, हैदराबाद में आईटी क्षेत्र में छह लाख कर्मचारी हैं।

हैदराबाद विश्व की फॉर्चून 500 कम्पनियों को भी आकर्षित कर यहां निवेश करा चुका है। इंटलेक्ट इंकॉ, की सेमिइंडिया में अच्छी डिल होने के बाद से हैदराबाद एक वैश्विक शहर बन गया है। यहीं पर भारत की प्रथम फैब सिटी, जिसमें सिलिकॉन चिप उत्पादन सुविधा हो, 3 बिलियन डॉलर के ए॰ एम॰ डी॰-सेमीइंडिया कॉनसॉर्शियम के निवेश से स्थापित हो रही है

यहां के शहरीकरण, व लोगों के छोटे शहरों को व्यवसाय के लिये छोड़कर यहां बसने से, यहां की जनसंख्या में एक बड़ी वृद्धि हुई है। इसी का परिणाम है ग्रेटर हैदराबाद, जिसमें पड़ोसी गांव भी शामिल हैं। इनके साथ ही यहां एक मुद्रिका मार्ग, बाहरी मुद्रिका मार्ग, कई सेतु व नीःशुल्क-पथ भी हैं। इस कारण कई बाहरी क्षेत्र अपनी सीमाएं खोते जा रहे हैं, व भू संपदा के भाव ऊंचे उठते जा रहे हैं। साथ ही यहां अनेकों गगन चुंबी अट्टालिकाएं उठतीं जा रहीं हैं

हैदराबाद शेष भारत से राष्ट्रीय राजमार्गों द्वारा जुड़ा हुआ है। मुख्य राजमार्ग हैं:- एन एच 7, एन ए 9 एवं एन एच 202 (आंध्र प्रदॆश सड़क राज्य परिवन निगम) आदि। 1932 में निज़ाम राज्य रेल-सड़क यातायात प्रभाग की इकाई के रूप में स्थापित हुआ था, जिसमें आरंभिक 27 बसें थीं, जो अब बढ़कर 19,000 का आंकड़ा पार कर चुकी है। यहां एशिया का तीसरा सबसे बड़ा बसों का बेड़ा है। इसमें 72 बस प्लेटफॉर्म हैं, जहां इतनी ही बसें एक ही समय में यात्रियों को चढ़ा सकतीं हैं। इसका आधिकारिक नाम है महत्मा गांधी बस स्टेशन, जिसे स्थानीय लोग इमलीवन बस स्टेशन कहते हैं। राज्य परिवहन निगम पॉइंट से पॉइंट बस सेवा प्रदान करता है, जो सभी मुख्य नगरों को जोड़ती है। शहर में निगम की 4000 से अधिक बसें दौड़तीं हैं। पीले रंग का ऑटोरिक्शा, जिसे ऑटो कहा जाता है, अधिकतर प्रयुक्त टैक्सी सेवा है। हाल ही में कार व मोटरसाइकिल टैक्सी सेवाएं भी आरंभ हुईं हैं।

यहां लाइट रेल यातायात प्रणाली है, जिसे मल्टी मॉडल टआंस्पोर्ट सिस्टम (एम एम टी एस) कहते हैं। यह रेल व सड़क यातायात को जोड़ता है। दक्षिण मध्य रेलवे का मुख्यालय सिकंदराबाद में स्थित है। तीन मुख्य रेलवे स्टेशन हैं:- सिकंदराबाद जंक्शन, हैदराबाद डेकन रेलवे स्टेशन (या नामपल्ली) और काचिगुडा रेलवे स्टेशन। नवंबर 2017 के बाद से हैदराबाद मेट्रो, एक नई तेजी से पारगमन प्रणाली शुरू हुई।

2012 तक, शहर में 3.5 मिलियन से अधिक वाहन चल रहे हैं, जिनमें से 74% दोपहिया वाहन, 15% कारें और 3% तीन-पहिया हैं। शेष 8% में बसों, माल वाहन और टैक्सी शामिल हैं। अपेक्षाकृत कम सड़क कवरेज के साथ वाहनों की बड़ी संख्या-सड़कों पर कुल शहर क्षेत्र का केवल 9 .5% हिस्सा है : 79-ने व्यापक यातायात की भीड़ का नेतृत्व किया है, खासकर जब से 80% यात्रियों और 60% माल ढुलाई जाती है सड़क से। : 3 इनर रिंग रोड, बाहरी रिंग रोड, हैदराबाद एलिवेटेड एक्सप्रेसवे, भारत का सबसे लंबा फ्लाईओवर, और विभिन्न इंटरचेंज, ओवरपास और अंडरपास को भीड़ को कम करने के लिए बनाया गया था। शहर के भीतर अधिकतम गति सीमा दोपहिया वाहनों और कारों के लिए 50 किमी / घंटा (31 मील प्रति घंटे), ऑटो रिक्शा के लिए 35 किमी / घंटा (22 मील प्रति घंटे) और हल्के वाणिज्यिक वाहनों और बसों के लिए 40 किमी / घंटा (25 मील प्रति घंटे) है।

पहले बेगमपेट हवाई अड्डा अन्तर्देशीय व अन्तर्राजीय विमान सेवा देता था। एक नया विमानक्षेत्र राजीव गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा शम्साबाद में बन चुका है। पहले सभी बड़े शहरों की भांति यहां वयु यातायात संकुलन समस्या होती थी, परंतु नया हवाई अड्डा बन जाने से वह दूर हो चुकी है। यहां ट्रैफिक संकुलन की समस्या सड़कों पर बहुत दिखायी देती है। यह ऑटो, कार, इत्यादि की अत्यधिक संख्या के कारण होती है। इससे निबटाने के लिये अनेकों सेतु, फ्लाईओवर निर्माण हुए, परंतु यह वैसी की वैसी बनी हुई है। आंध्र प्रदेश सरकार ने इससे निबटने के लिये दिल्ली व कोलकाता की भांति ही यहां भी मैट्रो ट्रेन शुरु करने की मंजूरी दे दी है। इसके पूर्ण हो जाने पर आशा है, कि यह समस्या काफी हद तक सुलझ जाये गी।

जब जीएचएमसी 2007 में बनाया गया था, तो नगरपालिका के कब्जे वाला क्षेत्र 175 किमी 2 (68 वर्ग मील) से बढ़कर 625 किमी 2 (250 वर्ग मील) हो गया था। नतीजतन, जनसंख्या में 87% की वृद्धि हुई, 2001 की जनगणना में 3,637,483 से, 2011 की जनगणना में 6,809,970 तक, जिनमें से 24% भारत में कहीं और से प्रवासी हैं, : 2 हैदराबाद देश का चौथा सबसे अधिक आबादी वाला शहर है। 2011 तक, जनसंख्या घनत्व 18,480 / km2 (47,900 / वर्ग मील) है।  उसी 2011 की जनगणना में, हैदराबाद अर्बन एग्रीग्लोमेशन की आबादी 9,700,000 थी, जो इसे देश का छठा सबसे अधिक आबादी वाला शहरी समूह बना रहा था।

2006 में नगर की जनसंख्या 36 लाख आकलित की गयी थी जबकि बृहत्तर महानगरीय क्षेत्र की जनसंख्या 61 लाख से अधिक आकलित की गयी है। धार्मिक तथा सांस्कृतिक रूप से यह शहर हिन्दू, मुस्लिम व ईसाइयों से जुड़ा हुआ है। यहां बोली जाने वाली मुख्य भाषाएं हैं- तेलुगु, हिन्दी, उर्दू व दक्कनी। यहां जनजातीय मूल के लोगों की भी खासी जनसंख्या है, जो कि काम की तलाश में यहां आव्रजित हुए हैं। यहां बनजारे भी मिलते हैं, जो अपनी एक भिन्न संस्कृति व भाषा वाले हैं। उनकी भाषा को Gorboliकहा जाता है, जो यूरोप में रोमा लोगों द्वारा बोली जाने वाली रोमा भाषा से निकट संबंध रखती है। तेलुगु, हिन्दी व दक्कनी मूल जनसंख्या की स्थानीय भाषाएं हैं। व्यापार में पर्याप्त मात्रा में अंग्रेज़ी भी बोली जाती है। भारत के विभिन्न भागों के लोगों ने हैदराबाद को अपना गृहनगर बनाया है।

"हैदराबादी" के रूप में संदर्भित, हैदराबाद के निवासी मुख्य रूप से तेलुगु और उर्दू बोलने वाले लोग हैं, जिनमें अल्पसंख्यक बंगाली, गुजराती (मेमन सहित), कन्नड़ (नावाथी सहित), मलयालम, मराठी, मारवाड़ी, ओडिया, पंजाबी, सिंधी, तमिल और उत्तर हैं। परदेशी समुदाय। हैदराबाद उर्दू की एक अनूठी बोली का घर है, जिसे हैदराबादी उर्दू कहा जाता है, जो एक प्रकार की दखिनी है, और अधिकांश हैदराबादी मुसलमानों की मातृभाषा है, एक अद्वितीय समुदाय, जो हैदराबाद के इतिहास, भाषा, व्यंजन और संस्कृति का बहुत अधिक सम्मान करता है, और विभिन्न राजवंश जिन्होंने पहले शासन किया था।

हिंदू बहुसंख्यक हैं। मुसलमान बहुत बड़े अल्पसंख्यक हैं, और पूरे शहर में मौजूद हैं और पुराने शहर में और उसके आसपास हैं। यहां ईसाई, सिख, जैन, बौद्ध और पारसी समुदाय और प्रतिष्ठित मंदिर, मस्जिद और चर्च भी देखे जा सकते हैं। भारत की जनगणना २०११ के अनुसार, ग्रेटर हैदराबाद का धार्मिक मेकअप था: हिंदू (64.9%), मुस्लिम (30.1%), ईसाई (2.8%), जैन (0.3%), सिख (0.3%) और बौद्ध (0.1%) ); 1.5% किसी भी धर्म का वर्णन नहीं करता है।

हैदराबाद अनेक विभिन्न संस्कृतियों व परंपराओं का मिलन-स्थल है। ऐतिहासिक रूप से यह वह शहर रहा है, जहां उत्तर व दक्षिण भारत की भिन्न सांस्कृतिक व भाषिक परंपराएं मिश्रित होती हैं। अतः यह दक्षिण का द्वार या उत्तर का द्वार कहा जाता है। यहां दक्षिण भारतीय संस्कृति के बीच हैदराबाद की मुस्लिम संस्कृति भी अंतर्विष्ट है।

यह एक अनुपम विश्वबन्धु नगर (कॉस्मोपॉलिटन) है, जहां ईसाइयत, हिन्दू धर्म, इस्लाम, जैनधर्म व जरथुष्ट्र धर्म को मानने वाले लोग रहते हैं। हैदराबादियों ने अपनी खुद की एक भिन्न संस्कृति विकसित कर ली है, जिसमें प्राचीन तेलुगु लोगों की हिन्दू परंपराओं तथा सदियों पुरानी इस्लामी परंपराओं का मिश्रण है। तेलुगु, उर्दू व हिन्दी यहां की प्रमुख भाषाएं हैं (यद्यपि बाद की दो अपने मानक स्वरूप में नहीं पायी जातीं और दक्कनी बोली की ओर अग्रसर रहती हैं)। यहां बोली जाने वाली तेलुगु भाषा में अनेक उर्दू शब्द भी मिल सकते हैं। तथा यहां बोली जाने वाली उर्दू भी मराठी व तेलुगु से प्रभावित है, जिससे एक बोली बनी है जिसे हैदराबादी उर्दू या दक्कनी कहा जाता है। यहां का प्रसिद्ध उस्मानिया विश्वविद्यालय भारत का पहला उर्दू माध्यम विश्वविद्यालय है। यहां की एक बड़ी जनसंख्या अंग्रेजी बोलने में भी कुशल है।[कृपया उद्धरण जोड़ें]

हैदराबाद की लगभग सभी संस्कृतियों की महिलाएं या तो परंपरागत भारतीय परिधान साड़ी पहनती हैं, या सलवार कमीज़ (विशेषकर युवा जनसंख्या)। मुस्लिम महिलाओं का एक बड़ा भाग बुरका या हिजाब पहनता है। पुरुष प्रायः आज का सुविधा का परिधान पैंट-शर्ट पहनते हैं, परंतु लुंगी व शर्ट, धोती कुर्ता (दोनों हिन्दू) तथा कुर्ता पाजामा (प्रायः मुस्लिम) भी बहुत पहना जाता है।

अपने लजीज मुगलई भोजन के साथ-साथ हैदराबाद निजामी तहजीब के कारण भी दुनिया भर में मशहूर है। स्वादप्रेमियों के लिए तो हैदराबाद जन्नत के समान है। यहां की लजीज बिरयानी और पाया की खूशबू दूर-दूर से पर्यटकों को हैदराबाद खींच लाती है। इस पर हैदराबाद के नवाबी आदर-सत्कार व खान-पान को देखकर आपको भी लगेगा कि वाकई में आप किसी निजाम के शहर में आ गए हैं। हैदराबादी व्यंजन में परंपरागत आंध्र और तेलंगाना व्यंजन पर व्यापक इस्लामी प्रभाव है। हैदराबादी व्यंजनों के यहां कई रेस्त्रां हैं। शहर के सभी होटलों में एक या इससे ज्यादा रेस्त्रां हैं जो लोकप्रिय है। बावर्ची, पाराडाइड, हैदराबाद हाउस हैदराबादी व्यंजनों को उपलब्ध कराने वाले कुछ मशहूर रेस्त्रां हैं।

हैदराबाद का सबसे प्रमुख व्यंजन हैदराबादी बिरयानी है। अन्य व्यंजनों में ख़ुबानी का मीठा, फेनी, पाया नाहरी और हलीम (रमजान के महीने का प्रमुख मांसाहारी व्यंजन)।

भारतीय मिठाई की दुकानें घी की मिठाइयों के लिए मशहूर हैं। पुल्ला रेड्डी मिठाइयां शुद्ध घी की मिठाइयों के लिए प्रसिद्ध है। नामपल्ली का कराची बेकरी फल बिस्कुटों, ओस्मानिया बिस्कुट और दिलखुश के लिए मशहूर हैं। पुराने शहर के अजीज बाग पैलेस में रहने वाला परिवार बादाम की जैली बनाता है।

आरंभ में हैदराबाद में मद्रास विश्वविद्यालय से संबद्ध दो महाविद्यालय थे। लेकिन 1918 में निज़ाम ने उस्मानिया विश्वविद्यालय की स्थापना की और अब यह भारत के श्रेष्ठ विश्वविद्यालयों में से एक है। हैदराबाद विश्वविद्यालयों की स्थापना 1974 में हुई। एक कृषि विश्वविद्यालय और कई ग़ैर सरकारी संस्थान, जैसे अमेरिकन स्टडीज़ रिसर्च सेंटर और जर्मन इंस्टीट्यूट ऑफ़ ओरिएंटल रिसर्च भी हैं।

हैदराबाद में सार्वजनिक व निजी सांस्कृतिक संगठन बड़ी संख्या में हैं, जैसे राज्य द्वारा सहायता प्राप्त नाट्य, साहित्य व ललित कला अकादमियां । सार्वजनिक सभागृह रबींद्र भारती नृत्य व संगीत महोत्सवों के लिए मंच प्रदान करता है और सालार जंग संग्रहालय में दुर्लभ वस्तुओं का संगृह है, जिनमें संगेयशब, आभूषण, चित्र और फ़र्नीचर शामिल हैं।

हैदराबाद क्षेत्रीय केन्द्र की स्थापना जनवरी, 1987 में की गई थी। दो उत्तरी तटीय ज़िले श्रीकाकुलम और विजयनगरम को छोड़कर यह क्षेत्रीय केन्द्र पूरे आंध्र प्रदेश को समाहित करता है। इस क्षेत्रीय केन्द्र का औपचारिक उद्घाटन इग्नू के संस्थापक वी. सी प्रोफ़ेसर जी. रामा रेड्डी द्वारा 2 फ़रवरी 1987 को किया गया था। कुछ ही वर्षों में इसने 60 अध्ययन केन्द्रों की स्थापना की और 120 से ज़्यादा कार्यक्रम अध्ययन केन्द्रों में उपलब्ध कराने लगा।

हैदराबाद केंद्र की स्थापना वर्ष 1976 में हुई। शिक्षण-प्रशिक्षण कार्यक्रमों के अंतर्गत यह केंद्र स्कूलों/कॉलेजों एवं स्वैच्छिक हिन्दी संस्थाओं के हिन्दी अध्यापकों के लिए 1 से 4 सप्ताह के लघु अवधीय नवीकरण कार्यक्रमों का आयोजन करता है, जिसमें हिन्दी अध्यापकों को हिन्दी के वर्तमान परिवेश के अंतर्गत भाषाशिक्षण की आधुनिक तकनीकों का व्यावहारिक ज्ञान कराया जाता है। वर्तमान में हैदराबाद केंद्र का कार्यक्षेत्र आन्ध्र प्रदेश, तमिलनाडु, गोवा, महाराष्ट्र एवं केंद्र शासित प्रदेश पांडिचेरी एवं अण्डमान निकोबार द्वीप समूह हैं। हैदराबाद केंद्र पर हिन्दी शिक्षण पारंगत पाठ्यक्रम भी संचालित किया जाता है।

हैदराबाद ऑप्टिकल फाइबर केबल के एक बड़े नेटवर्क द्वारा कवर किया जाता है। शहर के टेलीफोन प्रणाली चार लैंडलाइन कंपनियों द्वारा सेवित है, यथा: बीएसएनएल, टाटा इंडिकॉम, रिलायंस और एयरटेल। कई कंपनियों के द्वारा ब्रॉडबैंड इंटरनेट का उपयोग प्रदान किया जाता है। शहर में प्रसारित एफएम रेडियो चैनल क्रमश: रेडियो मिर्ची, आकाशवाणी इंद्रधनुष एफएम, विविध भारती, आकाशवाणी, रेडियो सिटी, बिग एफएम, एस एफएम और एयर ज्ञानवाणी एफएम आदि है। राज्य के स्वामित्व वाली दूरदर्शन दो स्थलीय टेलीविजन चैनलों और हैदराबाद से एक उपग्रह टेलीविजन चैनल प्रसारित करता है। साथ ही सन नेटवर्क के मिथुन, तेजा के अलावा मां टीवी, ईटीवी उर्दू, ईटीवी (भारत) सहित हैदराबाद से प्रसारित कई कई अन्य निजी क्षेत्रीय टेलीविजन चैनलों में प्रमुख है राज नेटवर्क का वीसा, ज़ी टीवी का ज़ी तेलुगु, सन नेटवर्क का मिथुन संगीत, मिथुन समाचार चैनल, टी वी 5, आप तक आदि है।

हैदराबाद से अंग्रेजी, तेलुगू और उर्दू भाषाओं में कई अखबारों और पत्रिकाओं का प्रकाशन होता है। तेलुगु दैनिक समाचार पत्रों में प्रमुख है एनाडु, वार्ता, आंध्र ज्योति, प्रजाशक्ति, आंध्र भूमि और आंध्र प्रभा। यहाँ से प्रकाशित अंग्रेजी दैनिक समाचार पत्रों में प्रमुख हैं डेक्कन क्रॉनिकल, बिजनेस स्टैंडर्ड, हिंदू, टाइम्स ऑफ इंडिया और इंडियन एक्सप्रेस आदि। जबकि यहाँ से प्रकाशित प्रमुख उर्दू दैनिक समाचार पत्रों में सियासत दैनिक, मुंसिफ दैनिक, एत्तेमाद उर्दू दैनिक, रहनुमाई, डेक्कन और दैनिक मिलाप आदि। इन प्रमुख समाचार पत्रों के अलावा, वहां से कई प्रमुख पत्रिकाएं प्रकाशित होती है, जिसमें प्रमुख है- चंदामामा, वनिता, विपुला, चतुरा, नव्या, आंध्र प्रभा, आंध्र ज्योति, स्वाति आदि तथा फिल्मी पत्रिकाओं में ज्योति चित्रा संतोषम, सुपरहिट, चित्रांजलि, सितारा आदि शामिल हैं।

हैदराबाद तेलुगू फिल्म उद्योग की मातृभूमि है। सरधी स्टूडियो, अन्नपूर्णा स्टूडियो, रामानायिडु स्टूडियो, रामकृष्ण स्टूडियो, पदमालया स्टूडियो, रामोजी फिल्म सिटी इस शहर का उल्लेखनीय फिल्म स्टूडियो हैं।

हैदराबाद भारत के दूसरे सबसे बड़े चलचित्र उद्योग का गृह भी है:- तेलुगु सिनेमा। यहां प्रतिवर्ष सैंकडों फिल्में बनायीं जातीं हैं।

हैदराबाद में अन्य खेलों की तुलना में क्रिकेट सर्वाधिक लोकप्रिय खेल हैं। क्रिकेट के साथ-साथ हॉकी की भी लोकप्रियता यहाँ कम नहीं है। 2005 में प्रीमियर हॉकी लीग में हैदराबाद सुल्तान्स विजयी हुये थे। हैदराबाद को हाल ही में एक नया क्रिकेट स्टेडियम विशाखा इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम मिला है, जिसका नाम परिवर्तित करके राजीव गांधी अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम रखा गया है। इन्डोर खेलों को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से यहाँ एक इन्डोर स्टेडियम भी बनाया गया है। वर्ष 2002 में 'राष्ट्रीय खेल' के मेजबान के रूप में इस शहर का चयन किया गया था और देश में विश्व स्तरीय स्टेडियम हेतु पहल की गई थी। बाद में इस स्टेडियम को 2003 में आयोजित एफ्रो एशियाई खेलों की मेजबानी का सौभाग्य प्राप्त हुआ। आज हैदराबाद में अंतरराष्ट्रीय मानक के कई बड़े और विविध स्टेडियम हैं। इंडियन प्रीमियर लीग में शहर की टीम हैं सनराइजर्स हैदराबाद।

हैदराबाद शहर में बनाया गया प्रारंभिक स्टेडियम लाल बहादुर शास्त्री स्टेडियम है, जो पूर्व में फतेह मैदान के रूप में जाना जाता था और यह हाल तक अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट मैचों का संचालन करता रहा है। इस मैदान पर पहला क्रिकेट मैच 19 नवम्बर 1955 को खेला गया था। उप्पल में राजीव गांधी अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम के निर्माण के साथ अब इस मैदान पर क्रिकेट मैच आयोजित किए जाने की संभावना नहीं है किन्तु हैदराबादी लोगों की प्रबल इक्षा है कि यहां पर क्रिकेट मैच का आयोजन किया जाना चाहिए, सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए।

चार मीनार – नगर का मुख्य चिन्ह, जिसमें चार भव्य मीनारें हैं।[40] शहर के बीचोंबीच बनी इस भव्य इमारत का निर्माण कुली कुतुब शाही नवाब ने कराया था। यह कहा जाता है कि हैदराबाद में प्लेग जैसी भयानक महामारी पर विजय पाने की खुशी में नवाब ने चारमीनार का निर्माण कराया था। चारमीनार से लगा हुआ ही एक प्रसिद्ध चूड़ी बाजार है, जहां आपको अनगिनत वैरायटियों की सुंदर चूड़ियां देखने को मिल जाएगी।
फलकनुमा पैलेस – नवाब विकार-अल-उमरा द्वारा बनवाया हुआ, स्थापत्यकला का अनोख उदाहरण है।

गोलकुंडा किला – शहर के किनारे स्थित, गोलकुंडा का किला, भारत के प्रसिद्ध व भव्य किलों में से एक है।

चौमोहल्ला पैलेस- यह आसफ जाही वंश का स्थान था, जहां निज़ाम अपने शाही आगन्तुकों का सत्कार किया करते थे। 1750 में निज़ाम सलाबत जंग ने इसे बनवाया था, जो इस्फहान शहर के शाह महल की तर्ज़ पर बना है। यहां एक महलों का समूह है, जो दरबार हॉल के रूप में प्रयुक्त होते थे।

सलारजंग संग्रहालय – यह पुरातन वस्तुओं का एक व्यक्ति संग्रह वाला सबसे बड़ा संग्रहालय है। कई शताब्दियों के संग्रह यहां मिलते हैं।

मक्का मस्जिद – यह पत्थर की बनी है, व चारमीनार के दक्षिण-पूर्व में स्थित है। यह अपने आकार, स्थापत्य एवं निर्माण में अद्वितीय है।
बिडला मंदिर (हैदराबाद, तेलंगाना) – यह हिन्दू मंदिर, नगर में एक ऊंचे पहाड़ पर स्थित है, जहां से नगर का नज़ारा दिखाई देता है, व पूरे नगर से यह दिखाई देता है। यह श्वेत संगमर्मर का बना है।
बिडला तारामंडल – नगर के बीच में नौबत पहाड पर स्थित, तारामंडल खगोल विज्ञान को नगर का नमन है।

चिलकुर बालाजी – श्री वेंकटेश्वर स्वामी को समर्पित यह मंदिर मेहंदीपटनम से 23 कि॰मी॰ दूर है। इसे वीसा-बालाजी भी कहते हैं, क्योंकि लोगों की यह मान्यता है, कि अमरीकी वीज़ा का इंटरव्यू इनकी कृपा से सकारात्मक परिणाम देता है।
नेहरू प्राणी संग्रहालय- हैदराबाद के इस प्राणी संग्रहालय की विशेषता है इसकी लॉयन सफारी तथा सफेद शेर, इसके अलावा यहां आपको अफ्रीका तथा ऑस्ट्रेलिया के भी कई वन्य प्राणी देखने को मिल जाएंगे। कई एकड़ में फैले इस प्राणी संग्रहालय में आप अपने वाहन से भी घूम सकते हैं।

हैदराबाद की बुद्ध प्रतिमा – यह हुसैन सागर नामक कृत्रिम झील हैदराबाद को सिकंदराबाद से अलग करती है। इसके अंदर, बीच में गौतम बुद्ध की एक 18 मी. ऊंची प्रतिमा स्थापित है। इस द्वीप पर जिस पत्थर पर यह बनी है, उसे स्थानीय लोग जिब्राल्टर का पत्थर कहते हैं।
लाड बाजार - यहां चूड़ी बाज़ार है, जो चार मीनार के पश्चिम में है।

कमल सरोवर - जुबली हिल्स पर स्थित, तालाब के चारों ओर बना एक सुंदर बगीचा है, जिसे एक इतालवी अभिकल्पक द्वारा बनाया हुआ बताया जाता है। यह वर्तमान में हैदराबाद नगरपालिक निगम द्वारा अनुरक्षित है। यह कुछ दुर्लभ प्रजातियों के पक्षियों का घर भी है।
पुरानी हवेली - निज़ाम का आधिकारिक निवास।

क़ुतुब शाही मक़बरे - कुतुबशाही वंश के शासकों के मकबरे यहां स्थित हैं, यह गोलकोंडा किले के निकट शाइकपेट में है।

पैगाह मक़बरे - पैगाह मकबरा का संबंध पैगाह के शाही परिवार से है, जिसे शम्स उल उमराही परिवार के नाम से भी जाना जाता है। हैदराबाद के उपनगर पीसाल बंदा में स्थित इस मकबरे को मकबरा शम्स उल उमरा के नाम से भी जाना जाता है। इस मकबरे के निर्माण का काम 1787 में नवाब तेगजंग बहादुर ने शुरू करवाया था और फिर बाद में इसके निर्माण कार्य में उनके बेटे आमिर ए कबीर प्रथम ने हाथ बंटाया।

संघी मंदिर - भगवान वेंकटेश्वर को समर्पित एक मंदिर है।

स्नो वर्ल्ड - यह एक मनोरंजन पार्क है, जो कि इस उष्णकटिबंधीय शहर में लोगों बहुत कम तापमान व हिम का अनुभव देता है।
वर्गल सरस्वती देवी मंदिर - यह हैदराबाद से 50 किलोमीटर दूरी पर मेडचल महामार्ग पर स्थित मंदिर है। यह एक बड़ी शिला पर स्थित है। इस मार्ग पर आरटीसी बसें उपलब्ध हैं।

माधापुर - हैदराबाद के अनेक सूचना-प्रौद्योगिकी तथा सूचना-प्रौद्योगिकी-समर्थीकृत-सेवाओं संबधित कार्यालयों का स्थान है।
रामोजी फिल्म सिटी संसार का सबसे बड़ा समाकलित फ़िल्म स्टूडियो सम्मिश्र है जो लगभग 2000 एकड़ में फैला है। यह एशिया के सबसे लोकप्रिय पर्यटन एवं मनोरंजन केंद्रों में से एक है। 1996 में उद्घाटित यह हैदराबाद से 25 किलोमीटर दूर विजयनगर राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच-9) पर स्थित है।

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