एल्लोरा केव्स का इतिहास और वास्तुकला

Jan 20, 2023 - 16:01
Jan 20, 2023 - 10:11
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एल्लोरा केव्स का इतिहास और वास्तुकला
एल्लोरा केव्स का इतिहास और वास्तुकला

महाराष्ट्र राज्य के औरंगाबाद शहर से लगभग 30 किलोमीटर की दूरी पर स्तिथ एलोरा गुफाएं भारत के सबसे प्राचीन ऐतिहासिक गुफाओं में से एक है जिसे स्थानीय रूप से वेरुल लेनी के नाम से जाना जाता है। यह एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्थल है जो बिश्व भर में प्रसिद्ध है और देश का एक अनूठा आकर्षण है। एलोरा में कुल 34 गुफाएं हैं जो हिन्दू, बौद्ध और जैन वास्तुकला से प्रेरित हैं और इतिहास प्रेमियों के लिए एक आदर्श जगह है।

दुनिया के सबसे रॉक-कट गुफा मंदिरों में से एक एलोरा गुफाएं बिश्व धरोहर स्थल है। इन गुफाएं की निर्माण की बात करें, तो यह गुफाएं भारत का सबसे प्राचीन गुफाएं हैं जिन्हें राष्ट्रकूट राजवंश द्वारा निर्माण किया गया था। इन गुफाओं की लोकप्रियता आप इसी बात पर अंदाजा लगा सकते हैं की महाराष्ट्र की इस ऐतिहासिक खूबसूरती को देखने के लिए रोजाना हजारों के तादात में पर्यटक आते हैं और इनमें अंतरराष्ट्रीय पर्यटक भी शामिल हैं।

एलोरा के गुफाएं पूरी दुनिया में चट्टान को काट कर बनाये गए सबसे बड़े मठ मंदिर परिसर है जिसमें बौद्ध धर्म, हिंदू धर्म और जैन धर्म की कलाकृति और स्मारकों को प्रदर्शित करती हैं। एलोरा गुफाओं के समूह में कुल 100 गुफाएं हैं, जिनमें से केवल 34 गुफाएं ही पर्यटकों के लिए हैं। इस समूह में 12 बौद्ध गुफाएं, 5 जैन गुफाएं और 17 हिन्दू गुफाएं शामिल हैं। एलोरा गुफा की सबसे महत्वपूर्ण गुफा संख्या 16 में स्तिथ कैलाश मंदिर सबसे प्रभावशाली गुफा मंदिर है जो भगवान शिव के निवास स्थान माना जाता है। यह शिव का 2 मंजिला मंदिर पर्वत चट्टान को काट कर बनाया गया है जिसका नाम हिमालय की कैलाश पर्वत की नाम पर रखा गया है और इसका निर्माण राष्ट्रकूट वंश से शासक कृष्ण प्रथम ने किया था।

एलोरा गुफा का इतिहास

एलोरा की गुफाओं का निर्माण 600 से 1000 सीई तक किया गया था। माना जाता है की हिन्दू और बौद्ध गुफाओं का निर्माण राष्ट्रकूट राजवंश के शासन कल के दौरान किया गया था, जबकि जैन गुफाओं का निर्माण यादव वंश द्वारा किया गया था। लेकिन आज भी यह स्पष्ट नहीं हुआ कि कौन सी गुफा पहले बनाई गई थी। यहाँ 5 जैन गुफाएं, 12 बौद्ध गुफाएं और 17 हिन्दू गुफाएं हैं जिनमें देवताओं, नक्काशी और मठ भी शामिल हैं जो सभी धर्म कि पौराणिक कथाओं को दर्शाते हैं। पुरातात्विक सर्वेक्षणों के  अनुसार  एलोरा कि गुफाओं का निर्माण 3 चरणों में हुआ था। पहला चरण 550 से 600 सीई तक शुरू हुआ, जबकि दूसरा चरण 600 से 730 सीई तक चला। निर्माण का अंतिम चरण 730 से 950 सीई तक चला था।

एलोरा गुफाओं की वास्तुकला

एलोरा कि गुफाएं वास्तुकला का एक अद्भुत उदहारण हैं जो औरंगाबाद में सह्याद्री पहाड़ियों में स्थित हैं। इन गुफाओं का निर्माण बेसाल्ट चट्टानों को काट कर बनाया गया है। 1.2 मील में फैले, एलोरा गुफाओं में 1-12 बौद्ध गुफाएँ हैं, गुफाएँ 13-29 हिंदू गुफाएँ हैं और गुफाएँ 30-34 जैन गुफाएँ हैं। ये गुफाएं एक दूसरे के करीब बनी हैं जो देश में धर्मों के बीच सद्भाव को दर्शाती हैं। इन गुफाओं को मूर्तियों, भित्ति चित्रों और विस्तृत नक्काशी से सजाया गया है। इन विशाल संरचनाओं की कुछ सबसे लोकप्रिय गुफाओं में विश्वकर्मा गुफा (गुफा संख्या -10), कैलाश मंदिर (गुफा सांख्य -16), दशावतार गुफा (गुफा सांख्य -15) और भी बहुत कुछ शामिल हैं।

एलोरा गुफाओं के बारे में महत्वपूर्ण तथ्य

महाराष्ट्र के औरंगाबाद शहर से लगभग 30 किलोमीटर की दूरी पर स्तिथ एलोरा की गुफाएं भारत सबसे प्राचीन गुफाएं हैं जिसे स्थानियों लोगो के द्वारा वेरुल लेनी कहा जाता है।
अजंता गुफाओं के बिपरीत जो पूरी तरह से बौद्ध धर्म को समर्पित है, एलोरा की गुफाएं तीन धर्मों को समर्पित है जो बौद्ध धर्म, हिंदू धर्म और जैन धर्म हैं।
एलोरा के गुफा सरचनाओं में 100 से अधिक गुफाएं हैं, लेकिन दर्शकों के लिए सिर्फ 34 गुफाएं खुली रहती है।
एलोरा की गुफाएं असाधारण वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध हैं जो 12 बौद्ध, 17 हिंदू और 5 जैन गुफाएं का समूह है।

एलोरा में बौद्ध गुफाएं

एलोरा गुफाएं परिसर के दक्षिण हिस्सों में स्तिथ बौद्ध गुफाओं का निर्माण 600 से 730 ईस्वी के दौरान होने का अनुमान है। पहले यह माना जाता था कि बौद्ध गुफाओं का निर्माण हिंदू गुफाओं से पहले किया गया था, लेकिन इस सिद्धांत को खारिज कर दिया गया था और पर्याप्त सबूतों के साथ यह स्थापित किया गया था कि बौद्धों के अस्तित्व में आने से पहले हिंदू गुफाओं का निर्माण किया गया था। सबसे पहले बनने वाली बौद्ध गुफा गुफा 6 थी, जिसमें गुफा 11 और 12 अंतिम थी। इन गुफाओं में मठ, मंदिर हैं जिनमें नक्काशी, चित्रों, मूर्तियों और भित्ति चित्रों से सजाया गया है जो भगवान बुद्ध के जीवन को दर्शाती हैं।

एलोरा में हिंदू गुफाएं

एलोरा में हिंदू गुफाएं, गुफा संख्या 13 से 29 तक हैं जो परिसर के बिच स्तिथ है। गुफा संख्या 15 में दशावतार की मूर्तियां हैं जो विष्णु के दस अवतारों को दर्शाती हैं। एलोरा की सभी गुफाओं में गुफा संख्या 16 सबसे महत्वपूर्ण और प्रसिद्ध गुफा माना जाता है जिसे कैलाश गुफा मंदिर कहा जाता है। इस गुफा मंदिर का निर्माण राष्ट्रकूट राजवंश के राजा कृष्ण प्रथम के शासनकाल के दौरान किया गया था। यह गुफा मंदिर मुख्य रूप से भगवान शिव को समर्पित है और उनके पवित्र निवास स्थान माना जाता है। गुफा संख्या 21 को रामेश्वर गुफा के नाम से जाना जाता है जो अपनी मूर्तिकला और अनूठी सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है। गुफा संख्या 29 जिसे धूमर लीना के नाम से जाना जाता है, और इसमें शिव और पार्वती, विष्णु और ब्रह्मा और गुफा में अन्य मूर्तियों को देखा जा सकता है।

एलोरा में जैन गुफाएं

गुफा संख्या 30 से गुफा संख्या 34 मुख्य रूप से जैन गुफाएँ हैं जो एलोरा गुफाओं के उत्तर में स्थित है। गुफा 32 (इंद्र सभा) एक उल्लेखनीय गुफा है क्योंकि इसे छोटा कैलाश भी कहा जाता है। इसमें जैन तीर्थंकरों पार्श्वनाथ, महावीर और गोमतेश्वर का चित्रण है। दीवारों पर कुछ पेंटिंग हैं जो समय की कसौटी पर खरी उतरी हैं। यह जैन समुदाय द्वारा बड़े पैमाने पर पूजा के प्रमाण के रूप में कार्य करता है।

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Sujan Solanki Sujan Solanki - Kalamkartavya.com Editor