फ़्रान्स पश्चिम यूरोप में स्थित एक देश

Jan 21, 2023 - 13:01
Jan 21, 2023 - 10:56
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फ़्रान्स पश्चिम यूरोप में स्थित एक देश
फ़्रान्स पश्चिम यूरोप में स्थित एक देश

फ़्रान्स पश्चिम यूरोप में स्थित एक देश है किन्तु इसका कुछ भूभाग संसार के अन्य भागों में भी हैं। पेरिस इसकी राजधानी है। यह यूरोपीय संघ का सदस्य है। क्षेत्रफल की दृष्टि से यह यूरोप महाद्वीप का सबसे बड़ा देश है, जो उत्तर में बेल्जियम, लक्ज़मबर्ग, पूर्व में जर्मनी, स्विट्ज़रलैण्ड, इटली, दक्षिण-पश्चिम में स्पेन, पश्चिम में अटलांटिक महासागर, दक्षिण में भूमध्यसागर तथा उत्तर पश्चिम में इंग्लिश चैनल द्वारा घिरा है। इस प्रकार यह तीन ओर सागरों से घिरा है।

लौह युग के दौरान, अभी के महानगरीय फ्रांस को कैटलिक से आये गॉल्स ने अपना निवास स्थान बनाया। रोम ने 52 ईसा पूर्व में इस क्षेत्र पर कब्जा कर लिया गया। फ्रांस, गत मध्य युग में सौ वर्ष के युद्ध (1337 से 1453) में अपनी जीत के साथ राज्य निर्माण और राजनीतिक केंद्रीकरण को मजबूत करने के बाद एक प्रमुख यूरोपीय शक्ति के रूप में उभरा। पुनर्जागरण के दौरान, फ्रांसीसी संस्कृति विकसित हुई और एक वैश्विक औपनिवेशिक साम्राज्य स्थापित हुआ, जो 20 वीं सदी तक दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी थी। 16 वीं शताब्दी में यहाँ कैथोलिक और प्रोटेस्टैंट (ह्यूजेनॉट्स) के बीच धार्मिक नागरिक युद्धों का वर्चस्व रहा। फ्रांस, लुई चौदहवें के शासन में यूरोप की प्रमुख सांस्कृतिक, राजनीतिक और सैन्य शक्ति बन कर उभरा। 18 वीं शताब्दी के अंत में, फ्रेंच क्रांति ने पूर्ण राजशाही को उखाड़ दिया, और आधुनिक इतिहास के सबसे पुराने गणराज्यों में से एक को स्थापित किया, साथ ही मानव और नागरिकों के अधिकारों की घोषणा के प्रारूप का मसौदा तैयार किया, जोकि आज तक राष्ट्र के आदर्शों को व्यक्त करता है।

19वीं शताब्दी में नेपोलियन ने वहाँ की सत्ता हथिया कर पहले फ्रांसीसी साम्राज्य की स्थापना की, इसके बाद के नेपोलियन युद्धों ने ही वर्तमान यूरोप महाद्वीपीय के स्वरुप को आकार दिया। साम्राज्य के पतन के बाद, फ्रांस में 1870 में तृतीय फ्रांसीसी गणतंत्र की स्थापना हुई, हलाकि आने वाली सभी सरकार लचर अवस्था में ही रही। फ्रांस प्रथम विश्व युद्ध में एक प्रमुख भागीदार था, जहाँ वह विजयी हुआ, और द्वितीय विश्व युद्ध में मित्र राष्ट्र में से एक था, लेकिन 1940 में धुरी शक्तियों के कब्जे में आ गया। 1944 में अपनी मुक्ति के बाद, चौथे फ्रांसीसी गणतंत्र की स्थापना हुई जिसे बाद में अल्जीरिया युद्ध के दौरान पुनः भंग कर दिया गया। पाँचवां फ्रांसीसी गणतंत्र, चार्ल्स डी गॉल के नेतृत्व में, 1958 में बनाई गई और आज भी यह कार्यरत है। अल्जीरिया और लगभग सभी अन्य उपनिवेश 1960 के दशक में स्वतंत्र हो गए पर फ्रांस के साथ इसके घनिष्ठ आर्थिक और सैन्य संबंध आज भी कायम हैं।

फ्रांस लंबे समय से कला, विज्ञान और दर्शन का एक वैश्विक केंद्र रहा है। यहाँ पर यूरोप की चौथी सबसे ज्यादा सांस्कृतिक यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल मौजूद है, और दुनिया में सबसे अधिक, सालाना लगभग 83 मिलियन विदेशी पर्यटकों की मेजबानी करता है। फ्रांस एक विकसित देश है जोकि जीडीपी में दुनिया की सातवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था तथा क्रय शक्ति समता में नौवीं सबसे बड़ा है। कुल घरेलू संपदा के संदर्भ में, यह दुनिया में चौथे स्थान पर है। फ्रांस का शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल, जीवन प्रत्याशा और मानव विकास की अंतरराष्ट्रीय रैंकिंग में अच्छा प्रदर्शन है। फ्रांस, विश्व की महाशक्तियों में से एक है, वीटो का अधिकार और एक आधिकारिक परमाणु हथियार संपन्न देश के साथ ही यह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पाँच स्थायी सदस्यों में से एक है। यह यूरोपीय संघ और यूरोजोन का एक प्रमुख सदस्यीय राज्य है। यह समूह-8, उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो), आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (ओईसीडी), विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) और ला फ्रैंकोफ़ोनी का भी सदस्य है।

इतिहास

फ्रांस शब्द लातीनी भाषा के फ्रैन्किया (Francia) से आया है, जिसका अर्थ फ्रांक्स की भूमि या फ्रांकलैंड है। आधुनिक फ्रांस की सीमा प्राचीन गौल की सीमा के समान ही है। प्राचीन गौल में सेल्टिक गॉल निवास करते थे। गौल पर पहली शताब्दी में रोम के जुलिअस सीज़र ने जीत हासिल की थी। तदोपरांत गौल ने रोमन भाषा (लातिनी, जिससे फ्रांसीसी भाषा विकसित हुई) और रोमन संस्कृति को अपनाया। ईसाइयत दूसरी शताब्दी और तीसरी शताब्दी में पहुँची और चौथी और पाँचवीं शताब्दी तक स्थापित हो गई।

चौथी सदी में जर्मनिक जनजाति, मुख्यतः फ्रैंक्स ने गौल पर कब्जा जमाया। इस से फ्रांसिस नाम दिखाई दिया। आधुनिक नाम "फ्रांस" पेरिस के आसपास के फ्रांस के कापेतियन राजाओं के नाम से आता है। फ्रैंक्स यूरोप की पहली जनजाति थी, जिसने रोमन साम्राज्य के पतन के बाद आरियानिज्म को अपनाने की बजाए कैथोलिक ईसाई धर्म को स्वीकार किया।

वर्दन संधि (843) के बाद शारलेमेग्ने का साम्राज्य तीन भागों में विभाजित हो गया। इनमें सबसे बड़ा क्षेत्र पश्चिमी फ्रांसिया था, जो आज के फ्रांस के बराबर था।

ह्यूग कापेट के फ्रांस के राजा बनने तक कारोलिंगियन राजवंश ने ९८७ तक फ्रांस पर राज किया। उनके वंशजों ने अनेक युद्धों और पूर्वजों की विरासत के साथ देश को एकीकृत किया। १७ वीं सदी और लुई चौदहवें के शासनकाल के दौरान फ्रांस सबसे अधिक शक्तिशाली था। उस समय फ्रांस की यूरोप में सबसे बड़ी आबादी थी। देश का यूरोपीय राजनीति, अर्थव्यवस्था और संस्कृति पर एक बड़ा प्रभाव था। फ्रांसीसी भाषा अंतरराष्ट्रीय मामलों में कूटनीति की आम भाषा बन गई। फ्रांसीसी वैज्ञानिकों ने १८ वीं सदी में बड़ी वैज्ञानिक खोज की। फ्रांस ने अमेरिका, अफ्रीका और एशिया में अनेक स्थानों पर विजय आधिपत्य जमाया।

फ्रांस में फ़्रांसीसी क्रांति से पहले १७८९ तक राजशाही मौजूद थी। राजा लुई चौदहवें और उनकी पत्नी, मेरी अन्तोइनेत्ते १७९३ में मार डाला गया। हजारों की संख्या में अन्य फ्रांसीसी नागरिक भी मारे गए थे। नेपोलियन बोनापार्ट ने १७९९ में गणतंत्र पर नियंत्रण ले लिया। बाद में उन्होंने खुद को पहले साम्राज्य (१८०४-१८१४) का महाराज बनाया। उसकी सेनाओं ने महाद्वीपीय यूरोप के अधिकांश भाग पर विजय प्राप्त की।

१८१५ में वाटरलू की लड़ाई में नेपोलियन के अंतिम हार के बाद, दूसरी राजशाही आई। बाद में लुई-नेपोलियन बोनापार्ट ने १८५२ में द्वितीय साम्राज्य बनाया। लुई-नेपोलियन को १८७० के फ्रांसीसी जर्मन युद्ध में हार के बाद हटा दिया गया था। उसके शासन का स्थान तीसरे गणराज्य ने लिया।

फ्रांस के १८ वीं और १९ वीं सदी में एक बड़ा औपनिवेशिक साम्राज्य बनाया। इस साम्राज्य में पश्चिम अफ्रीका और दक्षिण पूर्व एशिया के कुछ हिस्से भी शामिल थे। इन क्षेत्रों की संस्कृति और राजनीति फ्रांस के प्रभाव में रही। कई भूतपूर्व उपनिवेशों में फ्रांसीसी भाषा आधिकारिक भाषा हैं।

भूगोल

महानगरीय फ्रांस पश्चिमी यूरोप में स्थित है। इसकी सीमा बेल्जियम, लक्सेम्बर्ग, जर्मनी, स्विटजरलैंड, इटली, मोनाको, अंडोरा और स्पेन से मिलती है। फ्रांस की सीमा से लगी हुई दो पर्वत श्रृंखलाएँ हैं, पूर्व में आल्प्स और दक्षिण में प्रेनिस। फ्रांस से प्रवाहित होने वाली कई नदियों में से दो नदियाँ प्रमुख हैं, सेन और लवार। फ्रांस के उत्तर और पश्चिम में निचली पहाड़ियों और नदी घाटियाँ हैं।

यह देश समतल एवं साथ-साथ पहाड़ी भी है। उत्तर में स्थित पैरिस तथा ऐक्विटेन बेसिन बृहद् मैदान के ही भाग हैं। पश्चिम की ओर ब्रिटैनी, यूरोप की उत्तर-पश्चिमी, उच्च पेटीवाली भूमि से संबंधित है। पूर्व की ओर प्राचीन चट्टानों के भूखंडों का क्रम मिलता है, जैसे मध्य का पठार तथा आर्डेन (Ardennes) पर्वत। इस देश के दक्षिण में पिरेनीज़ तथा ऐल्प्स-जूरा पर्वतों का समूह पाया जाता है। इसका दक्षिण-पूर्वी भाग पहाड़ी व ऊबड़ खाबड़ है जो ६,००० फुट से भी अधिक ऊँचा है।

फ्रांस में अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग मौसम का प्रभाव पाया जाता है। उत्तर और पश्चिम में अंध महासागर का मौसम पर गहरा प्रभाव है, जिसकी वजह से क्षेत्र का तापमान साल भर एक जैसा रहता है। पूर्व में सर्दियों ठंडी और मौसम अच्छा है। गर्मी गर्म और तूफानी रहती है। दक्षिण में गर्मी गर्म और सूखी रहती है। सर्दियों का मौसम ठंडा और नमी वाला रहता है।

प्राकृतिक आधार पर इसे आठ भागों में बाँट सकते हैं।

१. पैरिस बेसिन - यह देश का अति महत्वपूर्ण भाग है, जो यातायात साधनों द्वारा देश के हर भाग से जुड़ा है। यह बेसिन एक कटोरी के रूप में है, जो बीच में गहरा तथा चारों ओर ऊँचा होता गया है। इस भाग को पुन: (१) मध्य का बेसिन, (२) शैपेन एवं वरगंडी के कगार, (३) लोरेन के कगार, (४) पूर्वी प्रदेश तथा रोन घाटी और (५) ल्वार (Loir) प्रदेश तथा नॉरमैंडी, भागों में विभाजित किया गया है।

२. उत्तर-पश्चिमी प्रदेश - यह एक समतल भाग है। यहाँ पर नॉरमैंडी तथा ब्रिटैनी पहाड़ियाँ अवश्य कुछ ऊँचा नीचा धरातल प्रस्तुत करती हैं। यहाँ दो समांतर श्रेणियाँ दक्षिण-पश्चिम में दाउनिनैज खाड़ी के उत्तर-दक्षिण में फैली हैं। उत्तरी श्रेणी मॉट्स डे आरी कहलाती है, जिसका सर्वोच्च शिखर सेंट माईकेल (१,२८५ फुट) है। यही ब्रिटैनी का सबसे ऊँचा भाग है।

३. ऐक्विटेन बेसिन - यह त्रिभुजाकार निम्न भूमि है। इसके सागरतटीय भाग में रेत के टीले मिलते हैं। इसका आंतरिक प्रदेश 'लैडीज़' कहलाता है, जो प्राय: बंजर सा है।

४. मध्य का पठार - इस भाग की औसत ऊँचाई २,५०० फुट से भी अधिक है। इसकी ऊँचाई दक्षिण-पूर्व को उठती जाती है और रोन की घाटी में समाप्त हो जाती है। इसकी पूर्वी सीमा पर सेवेन (Cevennes) पर्वत स्थित है। यहाँ क्लेयरमॉन्ट के निकटवर्ती क्षेत्र में अब भी शंकु के आकार की ७० पहाड़ियाँ हैं, जिनका उद्गार प्राचीन समय में हुआ था। पुएज डी डोम ज्वालामुखी चोटी सागरतल से ४,८०५ फुट ऊँची है।

५. पूर्वी सीमाप्रदेश - इस प्रदेश में बोज़ तथा आर्डेन पर्वतों का क्रम फैला है। दोनों के बीच में राइन घाटी स्थित है। बोज़ पर्वत १७५ मील की लंबाई में श्रेणी के रूप में फैला है। यहाँ की वर्षा का पानी जमीन के अंदर चला जाता है तथा जमीन के ऊपर धाराएँ कम दिखाई देती हैं।

६. रोन सेऑन घाटी - यह मध्य के पठार तथा ऐल्प्स-जूरा-श्रेणियों के मध्य में स्थित है। यह मॉन्टेग्निज डेला कोटि डे ओर, सेऑन तथा ल्वार के खड्ड से प्रारंभ होती है और सेन नदी के उद्गम स्थान तक चली जाती है।

७. भूमध्य सागरीय प्रदेश - राइन डेल्टा के पूर्वी भाग में सीधी खड़ी चट्टानें सागरतट के पास तक आ गई हैं। मार्सेई के पश्चिम में अनेक दलदल मिलते हैं। राइन डेल्टा के पश्चिमी तट पर पिरेनीज़ तक तथा पश्चिम की ओर गैरोनि तक लैग्विडॉक का प्रसिद्ध क्षेत्र पाया जाता है। इस क्षेत्र को सेवेन की श्रेणी काटती है। इसका तट निम्न तथा रेतीला है।

८. पश्चिमी ऐल्प्स तथा जूरा प्रदेश - फ्रांस की दक्षिणपश्चिमी सीमाएँ पिनाइन, ग्रेनाइन, कोटियान तथा मैरिटाइम ऐल्प्स द्वारा बनी है। सवॉय पर १५,७७५ फुट ऊँचा माउंट ब्लैक स्थित है। समुद्र की ओर औसत ऊँचाई बराबर घटती जाती है। इस भाग में कई प्रमुख दर्रे हैं। जूरा पर्वत फ्रांस में सबसे ऊँचा है। इसकी प्रमुख चोटियाँ क्रेट डि ला नीगे (Cret de La Neige) ५,५०० फुट तथा मॉन्ट डि ओर ५,६६० फुट हैं।

जलवायु

यहाँ की जलवायु समुद्री है, जिसका प्रभाव सागर से दूर जाने पर कम होता जाता है। यूरोपीय विचार से पश्चिमी तटीय भाग में निम्न ताप, पर्याप्त वर्षा, शीतल गरमियाँ तथा ठंडी सर्दियाँ जलवायु की विशेषताएँ हैं। पूर्वी तथा मध्य के भाग में महाद्वीपीय जलवायु मिलती है, जहाँ ग्रीष्म में गर्मी, पर्याप्त वर्षा एवं सर्दियों में कड़ी सर्दी पड़ती है। दक्षिणी फ्रांस में, पर्वतीय भागों को छोड़कर शेष में, भूमध्य सागरीय जलवायु मिलती है, जहाँ ठंडी सर्दियाँ, गरम गरमियाँ तथा कम वर्षा होती है। पैरिस का औसत ताप १० डिग्री सेल्सियस तथा वर्षा २२ इंच है। वर्षा ब्रिटैनी, उत्तरी तटीय भाग तथा पहाड़ी भागों में अधिक होती है।

खनिज

कोयला, लोरेन तथा मध्यवर्ती जिलों में मिलता है। कोयला कम होते हुए भी फ्रांस को कोयले में विश्व में तीसरा स्थान प्राप्त है। इसके अतिरिक्त यहाँ ऐंटिमनी, बॉक्साइट, मैग्नीशियम, पाइराइट तथा टंग्स्टन, नमक, पोटाश, फ्लोरस्पार भी मिलता है।

उद्योग

लोरेन तथा मध्यवर्तीय भाग में स्थित लौह इस्पात उद्योग सबसे प्रमुख उद्योग है। उद्योगों के लिए पिरेनीज़ तथा ऐल्प्स से पर्याप्त विद्युत् प्राप्त हो जाती है। लील (Lille), ऐल्सैस तथा नॉरमैंडी में बाहर से रूई मँगाकर सूती कपड़े बनाए जाते हैं। ऊनी वस्त्रों के लिए रूबे (Roubaix) तथा टूरक्वै (Tourcoing) प्रमुख जिले हैं। लेयॉन में रेशमी कपड़ा बनता है। इसके अलावा जलयान निर्माण, स्वचालित यंत्र, चित्रमय परदे, सुगंधित द्रव्य, चीनी मिट्टी के बरतन, शराब, आभूषण, शृंगार की वस्तुओं, फीते, लकड़ी की वस्तुओं के उत्पादन में तो फ्रांस ने विश्व के अन्य देशों को पीछे छोड़ दिया है।

राजनीति और सरकार

फ्रेंच पाँचवें गणतंत्र के फ्रेंच संविधान के द्वारा देश में सरकार की एक अर्द्ध राष्ट्रपति प्रणाली निर्धारित की गई है। इसमें राष्ट्र ने अपने को "एक अविभाज्य, लोकतांत्रिक, धर्मनिरपेक्ष और सामाजिक गणराज्य" घोषित किया है। इसमें कहा गया है कि फ्रांस १७८९ की घोषणा के अनुसार, मनुष्य के अधिकार की जिस तरह से घोषणा उससे जुड़ा हुआ है।

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