भाजपा सरकार के पास आतंकवाद से निपटने के लिए कमान और नियंत्रण ढांचे का अभाव है
पठानकोट वायुसेना अड्डे पर हुआ सबसे हालिया आतंकी हमला केवल आतंकवादी हमला या मानवता पर हमला नहीं था, बल्कि भारत पर हमला था। हमारे सैन्य प्रतिष्ठान हमारी संप्रभुता और राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रतीक हैं। छह महीने के अंतराल में गुरदासपुर और उधमपुर के बाद यह तीसरा ऐसा हमला है, और यह सवाल पूछा जाना चाहिए कि हथियारबंद आतंकवादी हमारे देश में बार-बार कैसे प्रवेश कर रहे हैं।
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, पठानकोट भारतीय वायु सेना अड्डे पर हमला करने वाले आतंकवादियों ने 27 जुलाई के गुरदासपुर आतंकवादी हमले के अपराधियों के समान ही भारत में घुसपैठ की होगी।
भारतीय वायुसेना के एक टोही हेलीकॉप्टर द्वारा सुबह लगभग 4 बजे संभावित आतंकवादी गतिविधि का पता लगाने और अपहृत एसपी से इनपुट प्राप्त करने की खुफिया जानकारी के बावजूद भाजपा सरकार सतर्क हो गई थी। यहां तक कि रक्षा मंत्री श्री मनोहर पर्रिकर ने भी स्वीकार किया है कि कुछ 'खामियां' थीं जिसके कारण पठानकोट में आतंकवादी हमले हुए।
इन हमलों को हमारे सशस्त्र बलों की बहादुरी से विफल किया गया, न कि हमारी सरकार द्वारा स्थापित किसी पहल या प्रणाली से। सुरक्षा की कैबिनेट समिति की बैठक नहीं हुई और न ही गृह मंत्री को ऑपरेशन के बारे में सूचित किया गया।
यह सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा का वादा करके सत्ता में आई थी। 25 दिसंबर को जब श्री नरेंद्र मोदी लाहौर में व्यस्त थे, तब पाकिस्तान के आतंकवादी 2 जनवरी को भारत में बड़े हमले की तैयारी कर रहे थे।
श्री मोदी, अकेले नारे हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए उपयोगी नहीं होंगे। हमें यह सुनिश्चित करने के लिए मजबूत कूटनीति के साथ-साथ अच्छी खुफिया जानकारी जुटाने की जरूरत है कि पाकिस्तान में आतंकवाद को संस्थागत समर्थन मिलना बंद हो जाए।
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