आदिलाबाद तेलंगाना का एक ऐतिहासिक शहर जहां अनेक वंशों ने शताब्दियों तक राज किया

Jan 1, 2023 - 13:23
Jan 1, 2023 - 14:45
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आदिलाबाद तेलंगाना का एक ऐतिहासिक शहर जहां अनेक वंशों ने शताब्दियों तक राज किया
आदिलाबाद तेलंगाना का एक ऐतिहासिक शहर जहां अनेक वंशों ने शताब्दियों तक राज किया

आदिलाबाद (Adilabad) भारत के तेलंगाना राज्य के अदिलाबादु ज़िले में स्थित एक नगर है। यह ज़िले का मुख्यालय भी है। 

विवरण
आदिलाबाद तेलंगाना का एक ऐतिहासिक शहर है जहां अनेक वंशों ने शताब्दियों तक राज किया। प्रकृति की गोद में बसा यह खूबसूरत स्थांन एक उपयुक्तत पर्यटक स्थरल है। यहां पर बहुत कुछ ही देखने योग्या हैं लेकिन यहां की प्राकृतिक सुंदरता बरबस ही अपनी ओर खींच लेती है। इसी से आकर्षित होकर हजारो पर्यटक यहां आते हैं। देवी सरस्वचती का घर माना जाने वाला यह स्थाटन सिटी ऑफ कॉटन के नाम से भी प्रसिद्ध है। आदिलाबाद का नाम बीजापुर के प्रारंभिक शासक अली आदिल शाह के नाम पर पड़ा। ऐतिहासिक रूप से देखा जाए तो आदिलाबाद कई संस्कृातियों का घर रहा है। मध्यस व दक्षिण भारत के सीमा पर स्थित होने के कारण यहां पर उत्तोर भारत के शासकों ने भी शासन किया और दक्षिण के शासक वंशों ने भी। आज यहां पर पड़ोस की मराठी संस्कृशति का प्रभाव भी देखा जा सकता है जो तेलुगू संस्कृपति का हिस्साक बन चुकी है। आदिलाबाद के निकट ही माहुर (महाराष्ट्र राज्य) में बहमनी राज्य और ईमादशाही राजवंश के समय (14 वीं-16वीं सदी) का एक क़िला है। आदिलावाद गोदावरी और पेनगंगा नदियों के बीच 600 मीटर ऊंचे वनाच्छादित पठार पर स्थित है। इस क्षेत्र में टीक और आबनूस की व्यावसायिक स्तर पर कटाई होती है।

कृषि और खनिज
क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था में कृषि और खनन का महत्त्वपूर्ण स्थान है। चावल, ज्वार और गेहूँ यहाँ की प्रमुख फ़सलें हैं तथा यहाँ कोयला, अभ्रक और चूना-पत्थर का खनन होता है।

जनसंख्या
2001 की जनगणना के अनुसार आदिलाबाद की कुल जनसंख्या 1,08,233 है; और ज़िले की कुल जनसंख्या 24,79,347 है।

मुख्य आकर्षण
महात्माक गांधी पार्क
शहर के बीचों बीच स्थित महात्मा3 गांधी उद्यान की शांति लोगों को अपनी ओर खींचती है। यह स्था्न ध्या‍न साधना के लिए बिल्कुगल उपयुक्तर है। हरे भरे लॉन और विविध प्रकार के पेड़ पौधों से सजा यह खूबसूरत पार्क में शाम के समय बड़ी संख्याि में लोग आते हैं। बच्चोंह के खेलने के लिए यहां विशेष क्रीडा स्थाकन बनाया गया है जहां वे खेलने का आनंद उठा सकते हैं।

बासर मंदिर
निजामाबाद से 50 किलोमीटर दूर गोदावरी नदी के किनारे स्थित बसर का श्री ज्ञान सरस्वेती मंदिर दक्षिण भारत में विद्या की देवी को समर्पित एक मात्र मंदिर है। पौराणिक कथाओं के अनुसार महाभारत के युद्ध के बाद ऋषि व्याीस शांति की खोज पर निकले। वे गोदावरी नदी के किनारे कुमारचला पहाड़ी पर पहुंचे और देवी की अराधना की। उनसे प्रसन्न  होकर देवी ने उन्हेंं दर्शन दिए। देवी के आदेश पर उन्होंरने प्रतिदिन तीन जगह तीन मुट्ठी रेत रखी। चमत्काऔरस्वदरूप रेत के ये तीन ढ़ेर तीन देवियों की मूर्तियों में बदल गए जो थीं- सरस्वऔती, लक्ष्मी  और काली। आज ये तीनों देवियां बसर की सर्वाधिक पूजनीय देवियां हैं।

तीनों देवियों की उपस्थिति के बावजूद यह मंदिर मुख्य  रूप से देवी सरस्वदती को समर्पित है। अक्षर पूजा के अवसर पर अभिभावक अपने बच्चोंम को यहां लाते हैं ताकि उनकी शिक्षा का आरंभ ज्ञान की देवी के आशीर्वाद के साथ हो। वादायती शिला, अष्टआतीर्थ बसर के आसपास अन्ये प्रमुख दर्शनीय स्थ,ल हैं। हजारों श्रद्धालु महाशिवरात्रि पर गोदावरी नदी में स्नासन करते हैं और देवी का आशीर्वाद पाते हैं। व्यािस पूर्णिमा, वसंत पंचमी, दशहरा और नवरात्रि भी यहां पूरी श्रद्धा और उल्ला्स के साथ मनाए जाते हैं।

केलसापुर नगर
आदिलाबाद से 32 किलोमीटरदूर केलसापुर नागोबा में मंदिर के लिए जाना जाता है। इस मंदिर में स्थित शेषनाग की पाषाण प्रतिमा बड़ी संख्यां में भक्तों  को आकर्षित करती है। पूस के महीने में जातीय भेदभाव को भुलाकर लोग केलसापुर जात्रा में हिस्साप लेते हैं। यह जात्रा नागोबा के नाम पर आयोजित की जाती है। इस जात्रा में महाराष्र्   के भी अनेक श्रद्धालु भाग लेने आते हैं।

जयनाथ मंदिर
यह छोटा सा स्थाहन आदिलाबाद से 21 किलोमीटर दूर है। मंदिर में मिले शिलालेखों से पता चलता है कि इस मंदिर का निर्माण पल्लकव प्रमुख ने करवाया था। मंदिर में मंदिर वास्तुिशिल्प  की जैन शैली के सभी लक्षण मौजूद हैं। इसलिए इस मंदिर का नाम जयनाथ पड़ा। कार्तिक शुद्ध अष्टणमी से बहुला सप्तलमी (अक्टूकबर-नवंबर) तक यहां लक्ष्मीब नारायण स्वाीमी ब्रह्मोत्सइव मनाया जाता है जिसमें हजारों की संख्याड में श्रद्धालु भाग लेते हैं।

कव्वल वन्यरजीव अभ्या।रण्यद
893 वर्ग किलोमीटर में फैला यह वन्य जीव अभ्या रण्यी निर्मल से 70 किलोमीटर दूर है। यहां पर बार्किंग डियर, नीलगाय, जंगली भैंसा, चीता और चीतल पाए जाते हैं। डोगपा माय और अलीनगर गांवों में वॉच टावरों का निर्माण किया गया है। यहां से सूर्योदय और सूर्यास्तो का विहंगम दृश्यम दिखाई देता है।

कुंटाला वॉटरफॉल
ये वॉटरफॉल नेरेडकोंडा गांव से 12 किलोमीटर दूर है जो आदिलाबाद से 22 किलोमीटरकी दूरी पर स्थित है। कुंटाला में कदम नदी 45 मीटर की ऊंचाई से गिरकर नीचे घने जंगलों में जाती है। राज्य  का सबसे ऊंचा वॉटरफॉल कुंटाला का दृश्य  बहुत की सुंदर लगता है। सर्दियों का मौसम यहां आने के लिए सबसे उपयुक्ती है क्योंरकि उस दौरान नदी अपने पूरे ऊफान पर होती है। झरने के समीप भगवान शिव की प्रतिमा स्थांपित है जिन्हें  सोमेश्वार स्वारमी कहा जाता है। शिवरात्रि पर यहां भक्तों  का तांता लगा रहता है।

निर्मल आर्ट
मंचेरियल से 50 किलोमीटर दूर निर्मल आदिलाबाद जिले का एक प्रमुख नगर है। यह स्थाआन अपने लकड़ी के खिलौना उद्योग के लिए प्रसिद्ध है। खूबसूरती से तराशे गए ये खिलौने और तस्वीलरें इस शहर के नाम से ही पुकारी जाती हैं। शिल्पतकार स्थाेनीय स्तलर पर मिलने वाली मुलायम लकड़ी से सब्जियों, फलों, जानवरों, गुडि़यों के खिलौने बनाते हैं। इन खिलौनों को देखकर लगता है मानो शिल्पीकार ने इनमें प्राण फूक दिए हों। निर्मल पेंटिंग्सद विश्वन भर में अपने रंगों और विविधता के लिए जानी जाती हैं। निर्मल नगर में फ्रांसिसी इंजीनियर द्वारा बनाया गया एक किला भी है जो उन्होंनने निजाम की सेवा के दौरान बनाया था। इस किले में बहुत सारी बंदूकें रखी हुई हैं।

आवागमन
वायु मार्ग
निकटतम हवाई अड्डा हैदराबाद है जो सभी प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है।

रेल मार्ग
आदिलाबाद का अपना रेलवे स्टेहशन है जो भारत के पश्चिमी और दक्षिणी हिस्से से जुड़ा हुआ है।

सड़क मार्ग
उत्तर में श्रीनगर से आरम्भ होकर दक्षिण में कन्याकुमारी तक जाने वाला राष्ट्रीय राजमार्ग 44 यहाँ से गुज़रता है और इस क्षेत्र को देशभर से जोड़ता है। हैदराबाद यहां पहुंचने का सबसे सही रास्ताज है। हैदराबाद का हवाई अड्डा राष्ट्री।य राजमार्ग द्वारा जुड़ा हुआ है। राज्यी परिवहन की बसें और निजी बसें आदिलाबाद से तेलंगाना व तेलंगाना के बाहरी शहरों के लिए चलती हैं।

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